मास्टर सुहैल खां की “कमसारनामा” के बाद “बारानामा” का विमोचन

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गाज़ीपुर। बारा गांव के समाजसेवियों और बुद्धिजीवियों के लिये रविवार का दिन काफी रोमांचित करने वाला रहा।जब बारा गांव के मस्तान बाग स्थित मदरसा दारुल उलूम अहले सुन्नत गौसिया के परिसर में कमसार क्षेत्र की  ऐतिहासिक विरासत को सहेजने वाली पुस्तक “कमसारनामा’ के सुप्रसिद्ध लेखक मास्टर सुहैल खां ने बारा गांव की ऐतिहासिक महत्व को दर्शाती पुस्तक “बारानामा”का विमोचन करा बारावासियों को अपने इतिहास से रूबरू होने का एक नायाब तोहफा पेश किया।इस पुस्तक के विमोचन के मौके पर बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित शेरी अकादमी भोपाल के चेयरमैन डॉ मकबूल वाजिद ने कहा कि गंगा और करमनासा नदी के तट पर बिहार प्रांत की सीमा से सटा बारा गांव मध्यकाल में हुमायूं तथा शेरशाह सूरी के बीच हुए चौसा के युद्ध का भी मौन साक्षी रहा है।वहीं भारतीय स्वाधीनता संग्राम के इतिहास में भी यह गांव अपनी उपस्थिति दर्ज कराया।एस के बी एम इंटर कॉलेज दिलदारनगर के विज्ञान  अध्यापक मास्टर सुहैल खां द्वारा अपनी सरजमीं से लगाव ने ऐतिहासिक महत्व के पुस्तक की रचना के लिए प्रेरित किया है वह वाकई काबिले तारीफ है। ऐतिहासिक पुस्तक “बारानामा”बारा गांव के गौरवशाली इतिहास का आईना है।जो आने वाली नस्लों को अपने पूर्वजों के रहन सहन, सामाजिक जीवन, उनके व्यक्तित्व से प्रेरणा देता रहेगा।इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में शेषनाथ राय, मौलाना सऊदुल हसन नदवी,प्रो गजानंद पांडेय विभागाध्यक्ष रसायन विज्ञान डॉ बी आर अम्बेडकर केंद्रीय वि वि लखनऊ,मौलाना अरशद सिराज मक्की आदि ने भी अपने विचार रखे।साथ ही इस मौके पर आयोजित मुशायरे का भी भरपूर लुत्फ दर्शकों ने उठाया और एक से बढ़कर एक अपनी रचनाओं को सुना शायरों ने भी खूब वाहवाही बटोरी।कार्यक्रम की अध्यक्षता बारा साहित्य मंच के संस्थापक सरवत महमूद खां तथा संचालन दीवान तनवीर अहमद खां प्रवक्ता नेशनल इंटर कॉलेज पीलीकोठी वाराणसी ने किया।अंत में सभी बुद्धिजीवियों, समाजसेवियों सहित उपस्थित लोगों के प्रति धन्यवाद ज्ञापन बारा ग्राम प्रधान व कार्यक्रम संयोजक आजाद खां ने किया।

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