जब जब शासन निरंकुश हुआ है ब्राम्हण समाज को दिशा दिया है : मृगेन्द्रनाथ त्रिपाठी

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गाजीपुर। कोई भगवान परशुराम को जातिवादी कह देता है। यदि परशुराम जातिवादी होते तो क्या शिव धनुष तोड़ने पर वह श्रीराम से युद्ध नही करते ? वह राजा जनक के पास जाते ? हैहय वंश के राजा सहस्त्रबाहू और इनके पुत्र कृतार्जुन के अराजक कार्यों द्वारा ऋषियों के तपस्या मे खलल डालने पर भगवान परशुराम में शस्त्र उठाया और अतातायी राजा का समूल नाश किया। सहस्त्रबाहु के शासन में अराजकता, लूट,भय,भ्रष्टाचार,अत्याचार बढते देख परशुराम ने फरसा उठाया। यह समाज के लिए नजीर है। जब जब शासक निरंकुश हुआ है ब्राम्हण समाज को नयी दिशा देने का काम किया है।

उक्त उद्गार आज अक्षय तृतीया को भगवान परशुराम जयंती पर ब्राम्हण रक्षा दल के बैनर तले आयोजित सभा को सम्बोधित करते हुए फायर ब्रांड नेता मृगेन्द्रनाथ त्रिपाठी ने व्यक्त किया। श्री त्रिपाठी ने कहा कि वाकचातुर्य और नेतृत्व क्षमता को देखते हुए चंद्रवंसियों ने इनकी सहायता की। स्वयं राजा दशरथ और राजा जनक ने इन्हें अपनी सेनायें दी। भगवान परशुराम से कर्ण ने छलपूर्वक सारी विद्या ले ली लेकिन जब इन्हें आभास हुआ कि जिसे हमने ज्ञान दिया वह विप्र नहीं बल्कि क्षत्रिय है तो श्राप दिया कि जब इस विद्या की आवश्यकता होगी तब काम नहीं आएगी।

आज शनिवार को शहर के रौजा स्थित लहुरी काशी मैरेज हाल के खचाखच भरे सभागार में इनको सुनने के लिए जिले के कोने कोने से लोग आये हुए थे। ब्राम्हण रक्षा दल के संयोजक प्रेमशंकर मिश्र ने उपस्थित मुख्य अतिथियों सहित सभी विप्र बंधुओं का आभार व्यक्त किया।

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