नहीं रहे “हक को सर उठा कर मांगने”वाले अभिनेता

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मुंबई। दिग्गज फिल्म अभिनेता दिलीप कुमार का बुधवार सुबह साढ़े 7 बजे निधन हो गया। मुंबई के हिंदुजा अस्पताल में दिलीप कुमार ने अंतिम सांस ली। वे 98 वर्ष के थे।

बॉलीवुड में ट्रेजेडी किंग के नाम से मशहूर दिलीप कुमार पिछले 8 दिनों से अस्पताल में भर्ती थे। वे लंबे समय से बीमार थे।

11 दिसंबर 1922 को पेशावर में जन्में दिलीप कुमार राज्य सभा के सदस्य रह चुके हैं। उन्हें उनके दौर का बेहतरीन अभिनेता माना जाता था। ट्रेजेडी किंग को 1995 में भारतीय फिल्मों के सर्वोच्च सम्मान दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया था, इसके अलावा 1996 में दिलीप कुमार को पाकिस्तान का सर्वोच्च नागरिक सम्मान निशान-ए-इम्तियाज़ से भी सम्मानित किया गया था। उन्होंने देवदास, शक्ति, राम और श्याम, लीडर, कोहिनूर, आजाद और नया दौर जैसी फिल्में की थी। इन फिल्मों के लिए उन्हें फिल्म फेयर बेस्ट एक्टर अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया। 

इनके यादगार डायलाग्स अब यादों में हम सब के साथ रहेंगे।

  • जब अमीर का दिल खराब होता हैं ना, तो गरीब का दिमाग खराब होता हैं।
  • प्यार देवताओं का वरदान हैं जो केवल भाग्यशालियों को मिलता हैं।
  • जो लोग सच्चाई की तरफदारी की कसम कहते हैं। ज़िन्दगी उनके बड़े कठिन इम्तिहान लेती है।
  • पैदा हुए बच्चे पर जायज़ नाजायज़ की छाप नहीं होती, औलाद सिर्फ औलाद होती है।
  • हालात, किस्मतें, इंसान, ज़िन्दगी। वक़्त के साथ साथ सब बदल जाता है।
  • जिसके दिल में दगा आ जाती है ना, उसके दिल में दया कभी नहीं आती।
  • ये खून के रिश्ते हैं, इंसान ना इन्हे बनाता है, ना ही इन्हे तोड़ सकता है।
  • मोहब्बत जो डरती है वो मोहब्बत नहीं..अय्याशी है गुनाह है।
  • हक़ हमेशा सर झुकाके नहीं, सर उठाके माँगा जाता है।
  • कुल्हाड़ी में लकड़ी का दस्ता ना होता, तो लकड़ी के काटने का रास्ता ना होता।
  • बड़ा आदमी अगर बनना हो तो छोटी हरकतें मत करना।

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