रामराज्य काल की भांति लाघू हो टैक्स की व्यवस्था – मानस किकंर
वाराणसी : भारत में रामराज्य की वापसी के लिए आज दोपहर अर्थक्रांति मंच ने निकाला सत्याग्रह मार्च और जिलाधिकारी के माध्यम से प्रधानमंत्री को प्रेषित करने के लिए साैंपा तीन सुत्रीय मांग पत्रक।
सत्याग्रह मार्च वरूणापुल स्थित शास्त्रीघाट से प्ररम्भ होकर आस-पास के क्षेत्रों से होते हुए कचहरी पहुंचा जहां SDM ने सत्याग्रहियों से प्रत्रक लिया।
इस मौके पर सत्याग्रही रास्ते में और कचहरी परिसर में भी सारे टैक्सों को समाप्त कर केवल एक बैंक ट्रान्जक्श टैक्स पर 2 प्रतिशत चार्ज करने, सौ से बड़े नोटों को बन्द करने और देश के वरिष्ठ नागरिकों को प्रतिमाह ₹10000 सम्माननिधि देने की मांग कर रहे थे। इस आशय की अपने हाथों में तख्तियां लिए हुऐ थे, सत्याग्रहियों का नेतृत्व अर्थक्रांति मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जय प्रकाश जी, श्रीमती लीला जी हैदराबाद, मानस किंकर जी, लक्ष्मण श्रीवास अध्यक्ष अर्थक्रांति झारखंड जी, श्री अरुणेश जी जौनपुर, श्री हृदयराम वर्मा जी सुल्तानपुर, रतिभान जी प्रयागराज, श्री लक्ष्मण श्रीवास छत्तीसगढ़, हरिप्रसाद महतो झारखंड, श्री उमेश मिश्र, श्री वीरेंद्र प्रताप जी एवं श्री रमेश चंद्र अवस्थी कर रहे थे।
सत्याग्रह मार्च के तीसरे दिन शास्त्रीघाट(कचहरी) पर आयोजित सांय की रामकथा में अयोध्या से पधारे मानस किंकर जी ने कहा कि देश में रामराज्य काल की भांति ही लागू हो टैक्स की व्यवस्था। तभी हम समाज के अन्तिम व्यक्ति को खुशहाल बना पाएंगे और समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार, कालेधन, अपराध, आतंकवाद, नक्सलवाद, हवाला, घोटाला, नकली नोट, घूसखोरी, राष्ट्रविरोधी गतिविधियों पर अंकुश लगा सकेगें।
उससे पूर्व गरीबी विषय पर आयोजित की गई प्रतियोगिता में विभिन्न विद्यालयों के छात्रों जिसमें वसंता कॉलेज राजघाट, डीएवी कॉलेज, बीएचयू , विद्यापीठ आदि के छात्र-छात्राओं ने भाग लिया।
तत्पश्चात् आयोजित संगाष्ठी में मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष जय प्रकाश जी एवं वरिष्ठ प्रत्रकार श्री पदमपति शर्मा ने बताया कि अर्थशास्त्रीयों एवं विषय विशेषज्ञों से गहन विचार विमर्श के बाद ही बड़े नोटों को बन्द करने, एकल टैक्स व्यवस्था लागू करने की बात कही जा रही है इससे इतना राजस्व प्राप्त होगा कि हमे किसी से कर्ज नहीं लेना पड़ेगा और हम अपने देश का समुचित सुनियोजित विकास कर सकते है।
सत्याग्रह की तीसरे दिन भी आज प्रातः श्री सुरेंद्रनाथ उपाध्याय, श्री रतिभान जी, एवं रासबिहारी तिवारी की देख रेख में योग का प्रशिक्षण दिया गया।