सिनेमा समाज का दर्पण होता है, गोधरा कांड पर बनी फिल्म हिन्दू समाज के लिए मील का पत्थर साबित होगी:- अर्पित मिश्र

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सिनेमा समाज का दर्पण होता है किंतु भारत में पिछले कई दशकों में सिनेमा ने समाज को कुरीति, माफिया की चकाचौंध से परिचित कराने के साथ-साथ संस्कृत से भी विमुख करने का कार्य किया था। सन 2014 में भारत में केंद्र में भारतीय जनता पार्टी की सरकार नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बनी तो राष्ट्रवादियों कि इस लहर में कुछ सिनेमा बनाने वालों ने राष्ट्रवाद के विषय पर भी सिनेमा बनना प्रारंभ किया कुछ को अच्छे दर्शक मिले कुछ को कम दर्शक मिले परंतु मेरा व्यक्तिगत मत यह है कि अच्छा विषय यदि है तो दर्शक कम या ज्यादा से बहुत फर्क नहीं पड़ता क्योंकि वह सिनेमा अपने विषय का समाज पर एक प्रभाव अवश्य छोड़ती है। इसी कड़ी में गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस की दो बोगियों को आक्रांताओं की भीड़ द्वारा पथराव कर जला देने की घटना पर एक सिनेमा इस शुक्रवार को भारतीय सिनेमा घरों में दिखाई जाएगी जिसका नाम है ” Accident or Conspiracy GODHRA” । मुझे दिल्ली पीवीआर में इस सिनेमा के प्रीमियर को देखने का अवसर प्राप्त हुआ और विश्वास मानिए जिस प्रकार से सिनेमा ने सत्य को सामने रखते हुए 59 लोगों की निर्मम हत्या के जघन्य अपराध और उसके पीछे जुड़ी हुई साजिश और षड्यंत्र को भी समाज के समक्ष उजागर किया है उसके लिए, प्रोड्यूसर, निर्देशक, लेखक एवं कलाकार सभी को साधुवाद।

स्वार्थ और आधुनिकता की दौड़ में सनातनी समाज यह भूल गया था कि उनके ही इर्द-गिर्द कितना बड़ा खतरा उपस्थित है यह सिनेमा उसी खतरे को चिन्हित करते हुए हम सभी को एकजुट होकर एक दूसरे के साथ खड़े होने के लिए भी प्रेरित करती है।

इसके अंत में पूरा सिनेमा हॉल बहती हुई अश्रु धाराओं का साक्षी बन रहा था और शायद वह अश्रु धाराएं एक दूसरे से यह पूछ रही थी कि अभी भी यदि नहीं जागे तो कब जागोगे । वह अश्रु धाराएं श्रद्धांजलि थी उन 59 हुतात्माओं को जिन्होंने अयोध्या जी से कारसेवा करके लौटने के पश्चात अपना घर नहीं देखा और षड्यंत्र की अग्नि की भेंट चढ़ गए। वह अश्रु धाराएं वेदना भी प्रकट कर रही थी उन 59 हुतात्माओं के परिवार जनों के लिए जिन्होंने अपने प्रिय जनों को उस मानव इतिहास के एक सबसे बड़े षड्यंत्र में खो दिया था और उससे भी बड़ा दुर्भाग्य यह था की नानावती आयोग के समक्ष तथा मीडिया ट्रायल पर भी एक बहुत बड़े वर्ग ने गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस की दो बोगियों को जला देने वाली दुर्दांत अपराधी घटना को भी एक सामान्य घटना बताने का भरसक प्रयास किया था।
अंत में विजय सत्य की ही होती है और न्याय की जीत हुई गोधरा की घटना कोई सामान्य घटना नहीं थी यह घटना हिंदुओं के खिलाफ एक संयोजित युद्ध था जिससे हिंदू आज भी वाकिफ नहीं है अथवा जानकर भी अनजान बन रहे हैं अथवा सामने खतरे को देखकर आंख बंद करके यह सोच रहे हैं कि खतरा उन तक नहीं आएगा।

मेरा आप सभी से अनुरोध है कि इस शुक्रवार को अपने सभी इष्ट मित्रों बंधु बांधवों के साथ जाकर के इस सिनेमा को देखें और इसके द्वारा प्राप्त संदेश को जन-जन तक पहुंचाएं और सनातनियों को जागरूक करने की दिशा में गिलहरी रूपी ही सही लेकिन अपना भी योगदान प्रदान करें।
भारत माता की जय
जय भवानी 🚩🚩

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