वाराणसी। पूरा विश्व इन दिनों चीन में एक बार फिर कहर बरपा रहे कोरोना वायरस के नए वैरिएंट BF.7 से सहमा हुआ है। इसी बीच BHU के चिकित्साविज्ञान के विशेषज्ञों के अनुसार भारत की वैक्सीन चीन से कहीं ज्यादा कारगर है इसलिए भारत में इस वैरिएंट का असर ना के बराबर होगा। IMS-BHU के डॉक्टरों और वायरोलॉजिस्ट के अनुसार कोविड की पांचवीं लहर आई, तो इसका असर चौथी लहर से भी हल्का होगा।
चीन की तरह नहीं फ़ैल रहा भारत में ओमीक्रॉन का BF.7 वैरिएंट
विशेषज्ञों के अनुसार अभी चीन में रोज 2-3 मौतें हो रहीं हैं। मगर, आगे मौतों की संख्या बढ़कर रोज 8-10 हजार तक भी जा सकती है। लेकिन, भारत के लोगों को इससे डरने की जरूरत नहीं है। भारत में भी BF.7 वैरिएंट के 4 केस जुलाई, सितंबर और नवंबर में रिपोर्ट किए गए हैं। 3 गुजरात से और 1 केस उड़ीसा में। अच्छी बात यह है कि इनका संक्रमण चीन की तरह से भारत में नहीं फैल रहा है।
भारत में वैक्सीनेशन रेट चीन से ज्यादा
IMS-BHU स्थित मॉलिक्यूलर बायोलॉजी यूनिट के वायरोलॉजिस्ट प्रो. सुनीत सिंह ने एक न्यूज़ वेबसाइट को दिए साक्षात्कार में बताया कि भारत का वैक्सीन इंपैक्ट चीन से दोगुना ज्यादा असरदार है। वहीं वैक्सीनेशन का रेट भी चीन से ज्यादा है। चीन में रियल में कोविड वैक्सीनेशन केवल 38% ही हुआ है, जबकि भारत में दोनों डोज मिलाकर 68% है। जबकि, चीन क्लेम करता है कि उनकी 90% जनता वैक्सीनेटेड है। डॉक्टरों ने बताया कि भारत में कोरोना के संक्रमण का असर और डेथ रेट टाइम-टू-टाइम कम होता जा रहा है। यही पैटर्न अगली लहरों में भी फॉलो होगा।
चीन की नीतियां केस बढ़ने के लिए जिम्मेदार
उन्होंने आगे बताया कि चीन में कोरोना केसेज बढ़ने की वजह खुद चीन की नीतियां ही हैं। वहां की ‘जीरो कोविड पॉलिसी’ जिम्मेदार हैं। उन लोगों ने सोचा कि अब कोविड का यह वायरस नहीं फैलेगा। मगर, आपको स्पष्ट कर दूं कि श्वांस संबंधी यानी कि रेस्पायटरी मीडियम वाले रोगों पर आप लगाम लगा ही नहीं सकते। चीन का दावा था कि हमारा कोविड मैनेजमेंट मॉडल बेस्ट था। इसी अति उत्साह में उनके लोगों का नुकसान अब होने वाला है।
सर्दी-जुकाम की तरह होगा ये कोरोना
IMS-BHU के सेंटर ऑफ एक्सपेरिमेंटल मेडिसीन एंड सर्जरी विभाग के प्रो. समीर सिंह ने बताया कि BF.7 वैरिएंट भारत में भी है। यह फ्लू की तरह से फैलता है। जैसे-जैसे सीजन बदलता है, इसका असर होगा। मगर, परेशान होने का कोई अर्थ नहीं है। पांचवीं लहर आएगी, मगर यह चौथी से भी कमजोर होगी। कारण यह है कि सेकेंड वेब डेल्टा और थर्ड वेब में ओमिक्रॉन के बाद जितने भी वैरिएंट आए, सभी कमजोर थे। अब आगे भी यही पैटर्न चलेगा। मतलब, अब वैरिएंट का असर कम ही होना है। दूसरी बात यह है कि भारत की नेचुरल इम्युनिटी भी अच्छी है। जो लोग डेल्टा या ओमिक्रॉन से इंफेक्टेड हैं, उन पर इस नए वैरिएंट का असर सर्दी-जुकाम की तरह से ही होगा। (स्रोत : वाराणसी टुडे )