बातचीत के लिए लिखित आश्वासन चाहते हैं किसान

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आन्दोलन में आये किसान का बेटा सीमा पर शहीद…..नमन।

गृहमंत्री अमित शाह के प्रस्ताव को नकारा…

देश के पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री ने जय जवान जय किसान का नारा देते हुए कभी नहीं सोचा होगा कि देश के एक किसान जब अपनी मांगों को लेकर दिल्ली में होगा तब उसी किसान का बेटा भारत की सीमाओं की रक्षा के लिए शहीद हो रहा होगा।‌

किसान आंदोलन में हिस्सा लेने आये तरनतारन (पंजाब) के कुलवंत सिंह का बाइस वर्षीय सुखबीर सिंह काश्मीर में शहीद हो गया। सुखबीर काश्मीर रायफल्स में तैनात थे। चार माह पहले बहन की शादी में घर आया था। बेटी की शादी के लिए पांच लाख रुपया कर्जदार पिता बेटे के शहीद होने से टुट गये हैं। सुखबीर का दुसरा भाई विदेश में मजदूर है।

मालूम हो कि किसान विरोधी बिल को लेकर पंजाब में पिछले दो महीने से प्रदर्शन चल रहा है लेकिन सरकार सुध नहीं ले रही थी। हार मानकर किसान दिल्ली कूच कर गये। इनके साथ हरियाणा,उत्तर प्रदेश सहित देश के विभिन्न हिस्सों से किसान शामिल हो रहे हैं। सरकार सड़क पर बैरकेटिंग,पत्थर, रेत से भरी ट्रक खड़ा करने के अलावा पानी के बौछार अदिविभिन्न तरह से रोकने का माकूल प्रबंध किया था बावजूद दिल्ली आने से रोक नहीं पाई। कल अपनी विफलता छिपाने के लिए गृहमंत्री अमित शाह एएनआई को दिये इंटरव्यू में किसानों को पुलिस द्वारा बताये जगह पर आने की अपील की और कहा कि  एक जगह एकत्र होने पर तीन तारीख को बातचीत करने को राजी हैं।

कृषि कानूनों के विरोध में पंजाब हरियाणा के किसानों का आंदोलन आज भी लगातार चौथे दिन जारी है। प्रदर्शनकारी किसानों ने आज बैठक के बाद केंद्र सरकार के प्रस्ताव को सिरे से नकार दिया है। किसानों ने स्पष्ट कहा है कि वे बुराड़ी स्थित निरंकारी मैदान में प्रदर्शन नहीं करेंगे, बल्कि सिंघु बॉर्डर पर ही बैठे रहेंगे। किसानों का कहना है कि अगर उन्हें प्रधानमंत्री व गृहमंत्री की ओर से लिखित में बातचीत का न्योता मिलेगा तभी बात बनने की उम्मीद है।

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