Friday, March 29, 2024
spot_img
HomePurvanchalGhazipurकम जगह,कम समय और अच्छा मुनाफा की खेती है ....

कम जगह,कम समय और अच्छा मुनाफा की खेती है ….

गाजीपुर। कृषि विज्ञान केन्द्र एवम पी0जी0 कालेज द्वारा तीन दिवसीय( 11 से 13 अक्टूबर तक) प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन प्रशासनिक भवन के प्रशिक्षण हाॅल में आयोजित किया गया है। फसल सुरक्षा वैज्ञानिक ओमकार सिंह ने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में किसानों का रुझान मशरूम की खेती की तरफ तेजी से बढ़ा है, मशरूम की खेती बेहतर आमदनी का जरिया बन सकती है। बस कुछ बातों का ध्यान रखना होता है, बाजार में मशरूम का अच्छा दाम मिल जाता है। अलग-अलग राज्यों में किसान मशरूम की खेती से अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं, कम जगह और कम समय के साथ ही इसकी खेती में लागत भी बहुत कम लगती है, जबकि मुनाफा लागत से कई गुना ज्यादा मिल जाता है। विश्व में मशरूम की खेती हजारों वर्षों से की जा रही है, जबकि भारत में मशरूम के उत्पादन का इतिहास लगभग तीन दशक पुराना है। भारत में 10-12 वर्षों से मशरूम के उत्पादन में लगातार वृद्धि देखी जा रही है। इस समय हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक और तेलंगाना व्यापारिक स्तर पर मशरूम की खेती करने वाले प्रमुख उत्पादक राज्य है। साल 2019-20 के दौरान भारत में मशरूम का उत्पादन लगभग 1.30 लाख टन हुआ। हमारे देश में मशरूम का उपयोग भोजन व औषधि के रूप में किया जाता है। प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, खनिज लवण और विटामिन जैसे उच्च स्तरीय खाद्य मूल्यों के कारण मशरूम सम्पूर्ण विश्व में अपना एक विशेष महत्व रखता है। देश में बेहतरीन पौष्टिक खाद्य के रूप में मशरूम का इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा मशरूम के पापड़, जिम का सप्लीमेन्ट्री पाउडर, अचार, बिस्किट, टोस्ट, कूकीज, नूडल्स, जैम, अंजीर मशरूम, सॉस, सूप, खीर, ब्रेड, चिप्स, सेव, चकली आदि बनाए जाते हैं।
पी0जी0 कालेज के पादप रोग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर एवं अध्यक्ष डाॅ0 एस0एन0 सिंह ने कहा कि शरीर को रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए खाद पदार्थों की आवश्यकता होती है। इसमें से बहुत से ऐसे खाद्य पदार्थ होते हैं जिससे इम्यूनिटी बढ़ती है। मशरूम भी उनमें से एक है। यह एक शाकाहारी आहार है जिसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, खनिज लवण, एण्टिआक्सीडेन्ट आदि प्रचुर मात्रा में मौजूद होते हैं। मशरूम विटामिन डी वायरल संक्रमण व अन्य स्वास्थ्य संबंधी संक्रमण को रोकने में लाभदायक साबित होता है। मशरूम की पहुॅच छोटे से गाॅव की रसोई से लेकर फाईव स्टार होटल के मैन्यू तक बन गई है। लेकिन जिस अनुपात में मशरूम की माॅग है उस अनुपात में इनका उत्पादन नहीं हो पा रहा है, ऐसे में मशरूम उत्पादन कर किसान अपने स्वरोजगार को बढ़ाने के साथ.साथ बेहतर कमाई भी कर सकते हैं।
प्रशिक्षण के दौरान आकुसपुर कृषि विज्ञान केन्द्र के सीनियर साइंटिस्ट एण्ड हेड डाॅ0 आर0सी0 वर्मा ने मशरूम की खेती की विस्तृत जानकारी दी तथा उन्होंने बताया कि मशरूम की खेती के लिए मशरूम बीज, कम्पोस्ट व अन्य जरूरी चीजों के लिए कम से कम 15 से 20 हजार रूपये की जरूरत होती है। भारत में मुख्यतः तीन तरह के मशरूम का उत्पादन होता है, बटन मशरूम, ढिंगरी और दुधिया मशरूम।
दुधिया मशरूम का उत्पादन जून, जुलाई तक चलता है। ढिंगरी मशरूम सितम्बर महीने से 15 नवम्बर तक लगाया जा सकता है। इसके बाद बटन मशरूम का उत्पादन किया जाता है, जो कि फरवरी.मार्च माह तक चलता है। मशरूम की बुआई से लेकर तोड़ाई तक लगभग 2 से 3 महीने तक लग जाता है, इस तरह से किसान आत्मनिर्भर बन अपनी आय को दुगुनी ही नहीं बल्कि चार गुनी तक कर सकता है। प्रशिक्षण के दौरान केन्द्र के डाॅ0 डी0के0 सिंह, आशीष कुमार वाजपेयी, सुनील कुमार, कपिलदेव शर्मा सहित 25 किसान उपस्थित थे। कृषि विज्ञान केन्द्र, पी0जी0 कालेज, गाजीपुर चेयरमैन श्री अजीत कुमार सिंह के दिशा निर्देशन में आयोजित किया गया।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -spot_img

Most Popular