हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद जिला प्रशासन की किरकिरी
गाजीपुर ( प्रेमशंकर मिश्र ) । विगत दिनों जनपद के प्रॉपर्टी डीलर का शस्त्र लाइसेंस ‘अनुमानों और संभावनाओं के आधार पर निरस्त किया गया। पांच वर्षों में जिन 46 कारतूस के गायब होने सहित अन्य आरोप लगाते हुए जिला प्रशासन ने शस्त्र लाइसेंस रद्द कर दिया था वह सही नहीं है इसे शीघ्र बहाल किया जाय’। उपरोक्त टिप्पणी जिला प्रशासन बनाम गणेशदत्त मिश्र के केस में हाईकोर्ट के विद्वान न्यायाधीश ने की है। अब जिला प्रशासन या तो लाइसेंस बहाल करेगा या पुन: याचिका दाखिल करेगा, यह उनको विवेक पर है।
प्रशासन यह आरोप लगाते हुए कि गणेशदत्त मिश्र सरकस और दबंग है। कारतूस का उपयोग हर्ष फायरिंग और दबंग ई दिखाने के लिए किया गया है। बचाव में गणेशदत्त मिश्र की ओर से अधिवक्ता उपेन्द्र उपाध्याय उपस्थित होते हुए कहा कि पांच साल में 46 कारतूस का उपयोग परिक्षण फायरिंग और लक्ष्य सूटिंग के लिए किया गया। इसके अलावा अधिवक्ता ने यह भी कहा गया कि गलत भावना,संभावना और अनुमान के आधार पर हमें प्रताड़ित किया जा रहा है। इसी भावना के आधार पर हमारे पिता का भी मकान गिरा दिया गया। इसके अलावा अन्य आरोपों पर भी प्रशासन माननीय न्यायालय को संतोषजनक साक्ष्य नहीं दे पाया। इस बाबत न्यायालय ने गणेशदत्त मिश्र के पक्ष में फैसला सुनाते हुए शस्त्र लाइसेंस बहाल करने का निर्देश दे दिया।
मालूम हो कि विगत वर्ष 22 सितम्बर 2020 को गाजीपुर कोतवाली अन्तर्गत रौजा स्थित श्रीराम कालोनी निवासी गणेश दत्त की 315 बोर की एनपीबी राइफल और 32 बोर का एनपीबी पिस्टल का लाइसेंस निलंबित कर दिया गया था। पुलिस ने दोनों असलहों को कब्जे में लेकर थाने में जमा कर लिया था और लाइसेंस निलंबित और निरस्त कर असलहे जब्त कर लिया गया था।