कलम हूं मैं :
चलती हूं कागज पर मचलती हूं दिलों पर,
विद्वानों का मस्तिष्क हूं, प्रेमियों का दिल हूं मैं।
ज्ञान की व्याख्या हूं मैं, पराक्रम का प्रतिरूप हूं मैं।
कलम हूं मैं, कलम हूं मैं।।
खड़क की धार से एवम् चीते की चाल से भी तीव्र हूं मैं,
सूर्य के प्रकाश से एवं मंदाकिनी की धार से भी तीव्र हूं मैं,
वज्र के प्रहार से एवं यम के संहार से भी तीव्र हूं मैं,
कलम हूं मैं, कलम हूं मैं।।
सेनाओं तथा सीमाओं से परे हूं मैं,
सर्जन और संघार दोनों हूं मैं,
धनवंतरी एवं चित्रगुप्त का दिव्यास्त्र हूं मैं,
कलम हूं मैं, कलम हूं मैं।।
सेवा में
अर्पित मिश्रा
जिला मीडिया प्रभारी
भारतीय जनता युवा मोर्चा
नोएडा महानगर