लंपी वायरस : बीमार पशुओं की हालत नाजुक,दोबारा पहुँची टीम

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पशु बीमर होने पर तुरंत सूचना देने को कहा : डॉक्टर

चिकित्सकों ने पशु पालकों से बीमार पशुओं को स्वस्थ पशुओं से अलग रखने की दी सलाह

भारत प्राइम न्यूज चैनल संवाददाता विपिन गुप्ता कंचौसी औरैया/कानपुर देहात उत्तर प्रदेश भारत।

ग्रामीण क्षेत्रों में लम्पी वायरस के बढ़ते प्रकोप से क्षेत्र में बीमार गौवंश की हालत दिन प्रति दिन बिगड़ती जा रही है। बीमार गाय के पैरों में सूजन होने से लंगड़ा रही हैं। चारा खाना भी छोड़ दिया। हालांकि पशुपालन विभाग के चिकित्सक नजर बनाए हैं। उन्होंने गांव पर पहुंच कर दवाएं और इंजेक्शन देकर इलाज किया है। जनपद औरैया तहसील बिधूना ब्लाक सहार क्षेत्र के अंतर्गत कंचौसी कस्बा के आसपास लगने वाले गांव घसा पुरवा, ढिकियापुर, सूखमपुर, कंचौसी कस्बा, मधवापुर, कनमऊ, आदि करीब दस गांवों में गायों को लम्पी वायरस जैसे लक्षण फैल चुके हैं। ये वायरस पिछले कई दिनों से चल रही है। और गौवंश भी कई दिनों बीमार हो रही हैं। और इन गांवों में कुछ छुट्टा गायों में भी लम्पी वायरस के लक्षण दिखाई दे रहे हैं। वो गाय भी गंभीर रूप से बीमार हैं। जनपद औरैया ब्लाक सहार स्तरीय पुश चिकित्साधिकारियों द्वारा कुछ गायों के ब्लड सेम्पल भी जांच के लिए भेजे गए थे। लेकिन रिपोर्ट अभी तक नहीं मिली है। पशु चिकित्सा अधिकारी सहार हिर्देश कुमार ने मंगलवार को पुनः गांव पहुंच कर बीमार गायों को दवाएं दी। कुछ दवाएं न होने पर बाजार से लेने को लिखीं और बीमार गायों को अन्य पशुओं से दूर रखने की सलाह दी। जिससे उनमें संक्रमण न फैले। सबसे बड़ी समस्या छुट्टा गायों की है। जो जगह-जगह घूम रही हैं। इससे स्वस्थ गौवंश में भी संक्रमण फैलने का खतरा है।

वहीं दूसरी तरफ जानकारी मिली है कि पशुओं में फैलने वाली यह खतरनाक बीमारी लंपी वायरस भारत के 13 राज्यों में फैल चुकी है। इस बीमारी की चपेट में देश के लगभग दस लाख पशु आ चुके हैं। और करीब 75 हजार पशुओं की जान भी जा चुकी है। यह वायरस खून चूसने वाले कीड़ों यानी कुछ मच्छरों में पाई जाने वाली प्रजातियों में पाई जाती है। इस वायरस से बचने के लिए पशुओं के बांधने वाले स्थान और उसके आसपास साफ-सफाई रखना अति आवश्यक है। घरों के आसपास जलभराव होना और नालियों गंदगी पशुओं और लोगों के घातक है। हालांकि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने इस वायरस से फैलने वाले पशु रोग को गंभीरता से लिया है। और जानकारी मिलते ही तत्काल प्रभाव से स्वास्थ्य विभाग को निर्देश दिए और विभागीय अधिकारियों को गांव-गांव टीमों को भेजकर पशुओं की जांच कर इलाज करें। और पशु पालकों को भी सावधानी रखनी है ताकि यह खतरनाक लम्पी वायरस विकराल रूप धारण न कर सके।

पशु चिकित्साधिकारियों ने भी जानकारी देते हुए बताया है कि लंपी वायरस मुख्यता गौवंश में ज्यादा उत्पन्न होता है। इसके लक्षण मुंह-नाक से पानी का आना, तेज बुखार, जानवर चारा छोड़ देता है, नाभि के आसपास सूजन हो जाती है, पशु के पैरो में लंगडाहट हो जाती है, पैरों में सूजन हो जाती है, चमड़ी में सिक्कानुमा टाईट चकत्ते पड़ जाते है, दर्द अधिक होता है, आदि तरह के शरीर में यह यह वायरस फैलता है। यह एक गंभीर बीमारी होती है। समय के पहले अगर पशुओं को इलाज नहीं मिला तो उनकी मृत्यु होने का खतरा रहता है। यह एक संक्रामक रोग भी है। अगर संक्रमित जानवर स्वस्थ्य जानवर के संपर्क में आता है। तो वायरस की चपेट में आना स्वाभाविक है। इसकी मृत्यु दर 4-5 प्रतिशत तक होती है। दुधारू पशुओं में दूध की कमी भी हो जाती है। गर्भधारण पशुओं को गर्भपात का अधिक खतरा बना रहता है। इसके बचाव के लिए गॉट पॉक्स नामक वैक्सीन लगाई जाती है। जो कि समस्त पशु अस्पतालों में उपलब्ध रहती है। और पशु पालकों से चिकित्सकों का कहना है कि लंपी वायरस के संक्रमण से बचने के लिए स्वस्थ्य पशुओं को संक्रमित पशुओं से दूरी बनाकर रखिए। ग्रामीण क्षेत्र के गांवों में छुट्टा संक्रमित जानवरों को चिन्हित कर उपचार भी दिया जा रहा है। पशु पालकों को साफ-सफाई के बारे में भी अवगत कराया जा रहा है। और पशु बीमर होने पर पशु चिकित्सकों को तुरंत सूचना दें। जिससे कि उनका इलाज किया जा सके। ताकि स्वस्थ पशुओं को यह बीमारी न फैले।

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