स्वाधीनता संग्राम में गाजीपुर की वेश्याओं का भी बड़ा अवदान रहा। पब्बर राम जी ने अपनी आत्मकथा में हंसिया नाम की वेश्या का जिक्र किया है जिसके घर ” समरदूत ” अखबार छपता रहा । अखबार सात आठ महीने तक छपा पर कोई नहीं जान पाया कि अखबार कहां छपता है। यह एक बड़ा अवदान था । किशोरी उस जमाने की एक नामी वेश्या रही जो चंदा देने, राष्ट्रीय गान गाने, बाल सत्याग्रहियों को खाना खिलाने, खादी का इस्तेमाल करने में कभी नहीं हिचकी । हंसिया का भाई बंसू पब्बर राम इत्यादि के प्रभाव में आकर कांग्रेस का वालंटियर बना और कई बार जेल गया । रामेश्वरी नाम की वेश्या ने हरिशंकरी मोहल्ले में राजगद्दी के अवसर पर पूरे तरन्नुम में गाया था….
उधर है तोप गोरों की इधर गर्दन है कालों की
परीक्षा हो रही है आजकल भारत के लालो की
इसी प्रकार सैदपुर की विद्या देवी ने पेशा ही नहीं, घर द्वार छोड़कर कांग्रेसी होल टाइमर बनकर कार्य किया । कई बार जेल भी गईं। बड़ी किशोरी भी आंदोलन के बहुत निकट थीं और उनका एक लड़का राधेश्याम आर एस पी का सदस्य बना और पार्टी द्वारा खेले जा रहे नाटकों में भाग लेता था।
इससे स्पष्ट है कि राष्ट्रवादी आंदोलन कितनी दूर तक समाज को आंदोलन किया था ।
स्त्रोत….स्वाधीनता सेनानी, क्रांतिकारी, भूतपूर्व विधायक पब्बर राम की आत्मकथा
(राजीव रंजन राय )