एक तरफ जहाँ मदरसा बोर्ड के छात्रों को सेना में जगह दी गई। वहीँ दूसरी तरफ शास्त्री डिग्री वालों को धर्म शिक्षक के लिए रोक लगा दिया गया है। जिसका संत समाज विरोध कर रहा है और सुदर्शन भी इसका विरोध करता है क्योंकि शास्त्री की डिग्री को अमान्य घोषित कर संस्कृत पर कुठाराघात किया गया है। आपको बता दें सेना के धर्मगुरु की परीक्षा में शास्त्री डिग्री धारकों को बाहर किए जाने का काशी के विद्वत समाज ने विरोध किया है। काशी के विद्वानों का कहना है कि शास्त्री की डिग्री को अमान्य किया जाना संस्कृत पर कुठाराघात है। काशी विद्वत परिषद और काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद की ओर से रक्षामंत्री को पत्र लिखकर विरोध जताया गया है।
आपको बता कि भारतीय सेना में धर्म शिक्षकों की भर्ती में शास्त्री डिग्री धारक विद्यार्थी भी योग्य माने जाते थे, लेकिन बीते दिनों सेना मुख्यालय से जारी एक पत्र में शास्त्री डिग्री को स्नातक के समक्षक न मानते हुए शास्त्री डिग्री धारकों को धर्म शिक्षक (आरटी जेसीओ) पद के अयोग्य घोषित कर दिया गया है।