स्व० कृष्णानंद राय के थे वकील, मुख्तार और अफजाल करते थे सलाम
गाज़ीपुर। वरिष्ठ अधिवक्ता रामअधार राय शुक्रवार को पंचतत्व में विलीन हो गए। 89 वर्षीय श्री राय इधर बीमार चल रहे थे। अचानक स्थिति गम्भीर होने पर गुरुवार को उन्हें सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया जहाँ हर सम्भव प्रयास के बाद भी उन्हें बचाया नहीं जा सका। गुरुवार को देर रात उनका निधन हो गया। इसकी सूचना मिलते ही चौतरफा शोक का माहौल व्याप्त हो गया। शुक्रवार को अधिवक्ता न्यायायिक कार्यों से विरत रहे। उनका जन्म 1932 में गंगा के दामन में बसे रेवतीपुर ग्राम में हुआ था। आज 10 दिसम्बर 2021 को उनका पार्थिव शरीर गाज़ीपुर शमशान घाट के माध्यम से गंगा के हवाले कर दिया गया।
कलेक्ट्रेट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष रहे रामअधार राय विधायक कृष्णानन्द राय हत्याकाण्ड के वकील थे लेकिन सांसद अफजाल अंसारी और विधायक मुख्तार अंसारी भी उन्हें सामने पड़ने पर अवश्य सलाम करते थे।
1974 में जिले की छात्र युवा राजनीति को झकझोर देने वाले रेवतीपुर कांड में 43 डीआईआर, 7 नेशनल क्रिमिनल अमेंडमेंट एक्ट और 120 बी जैसी गम्भीर धाराओं में बंद वर्तमान में वरिष्ठ पत्रकार और लोकतन्त्र सेनानी कल्याण समिति, उत्तर प्रदेश के संयोजक धीरेन्द्र नाथ श्रीवास्तव जेल में सड़ गए होते अगर रामआधार राय ट्रायल के दौरान स्वतः हस्तक्षेप कर सफाई के गवाह के रूप में पेश नहीं हुए होते। उनके बयान के बाद ही इस मुकदमें का रुख पलट गया और धीरेन्द्र नाथ श्रीवास्तव बाइज्जत बरी हो गए।
परिजनों के अनुसार श्री रामअधार राय 1960 में वकील बने। 1966 में एडवोकेट हुए और देखते ही देखते उनकी गिनती जिले के अच्छे अधिवक्ताओं में होने लगी। वकालत उनके खून में है। उनके पिता राजनारायण राय जिले के नामी मुख़्तार थे।
पिछले तीन दशक से रामअधार राय को जिले स्तर पर न्याय की दुनियां में वह सम्मान हासिल है जो बिरले पाते हैं। इसके बावजूद विनम्र रहते थे।
राष्ट्रपुरुष चन्द्रशेखर, राष्ट्रपुरुष चन्द्रशेखर- सन्सद में दो टूक, लोकबन्धु राजनारायण विचार पथ एक और अभी उम्मीद ज़िन्दा है, समेत अपनी पांच पुस्तकें उन्हें भेंट कर सम्मानित करने के लिए गाज़ीपुर आए। श्री राय ने उनसे सम्मान ग्रहण करने की जगह गाज़ीपुर बार की तरफ से उन्हें ही सम्मानित करवा दिया।
श्री रामअधार राय 1942 में दस वर्ष के थे। उस समय की एक घटना का जिक्र वह अक्सर करते थे।
स्वराज इंडिया, गाज़ीपुर की ओर से दो साल पहले युवाओं का एक जत्था रमेश यादव के नेतृत्व में उन्हें सम्मानित करने गया था। इस सम्मान समारोह में श्री राय ने 42 का संस्मरण साझा करते हुए कहा था कि अंग्रेजी पल्टन के कहर के बचने के लिए पिता जी हमलोगों को लेकर गांव के बाहर स्थित अपने बगीचे में टिके थे कि मुझे बिच्छू ने डंक मार दिया। डंक की वह पीड़ा और उसे लेकर पिता की बेचैनी मुझे कभी नहीं भूलती है।
क्या आपका परिवार भी अंग्रेजी शासन के टारगेट पर था? जवाब में श्री राय ने कहा था कि अमर शहीद डॉक्टर शिवपूजन राय के नेतृत्व में मोहम्मदाबाद में तिरंगा फहराए जाने के बाद पूरा शेरपुर और रेवतीपुर गांव अंग्रेजी पल्टन के निशाने पर था। गोरी पल्टन ने दोनों गांवों को लूटा, फूंका। हवाई अड्डा बनाने के लिए ईंट तक उठा ले गए। तिरंगा फहराने में शहीद हुए अमर शहीद बाबू वंशनारायन राय हमारे फूफा थे, इसलिए हम लोग भी निशाने पर थे।
बाबू रामअधार राय आजादी के बहत्तर साल को लेकर भी निराश नहीं थे। इसे लेकर एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा था कि आजादी के बाद विकास तो काफी हुआ है लेकि घटी है ईमानदरी जो ठीक नहीं है।
श्री राय के निधन से गाज़ीपुर ने एक ऐसे व्यक्तित्व को खो दिया जो 1942, 1974 के साथ ही 2021 तक की सभी बड़ी घटनाओं का साक्षी था। उनके कमी पूरी नहीं की जा सकती है।
श्री राय की अंतिम यात्रा में हजार से अधिक लोग शामिल थे। उनके पुत्र राधेश्याम राय ने गाज़ीपुर शमशान घाट पर उन्हें मुखाग्नि दी। पूर्ण विधायक पशुपति नाथ राय, ब्लाक प्रमुख अवधेश राय, विधायक श्रीमती अल्का राय के पुत्र पीयूष राय, समाजवादी पार्टी के प्रदेश सचिव राजेश कुशवाहा, पूर्व मंत्री मनोज सिन्हा के प्रतिनिधि रहे सुनील सिंह, प्रधान संघ के संजय कुमार राय उर्फ मंटू राय, सचिद्दानन्द सिंह, बबुआ राय और लोकतन्त्र सेनानी कल्याण समिति के संयोजक धीरेन्द्र नाथ श्रीवास्तव आदि ने उनके निधन पर हार्दिक शोक प्रकट किया है।