प्रधान मंत्री का संसदीय क्षेत्र बनेगा यूपी का पहला और देश का 7वां शहर जहां कार्बन क्रेडिट से होगी कमाई
– योगी सरकार कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए उठा रही प्रामाणिक कदम
– आम जनता का स्वास्थ्य सुधारेगा कार्बन क्रेडिट, स्मार्ट सिटी की बढ़ेगी आय
– वाराणसी स्मार्ट सिटी को इससे 50 लाख से 1 करोड़ की आय होने का अनुमान
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में कार्बन डाइऑक्साइड गैस के उत्सर्जन को कम करने के लिए योगी सरकार प्रामाणिक कदम उठाने जा रही है। इससे आम जनता का स्वास्थ्य तो सुधरेगा ही स्मार्ट सिटी की आय में भी वृद्धि होगी। कार्बन क्रेडिट में वाराणसी यूपी का पहला और देश का 7वां शहर होगा। वाराणसी स्मार्ट सिटी जल्द ही इस संबंध में एक एमओयू साइन करने जा रहा है।
सरकार ग्लोबल वार्मिंग, क्लाइमेट चेंज जैसे पर्यावरण को नुकसान पहुंचने वाले तत्वों पर काबू करने के लिए बड़ा कदम उठाने जा रही है। साथ ही योगी सरकार कार्बन क्रेडिट के माध्यम से वाराणसी की जनता की सेहत और पैसा बचाने के लिए भी उपाय कर रही है। वाराणसी स्मार्ट सिटी को आने वाले सालों में इससे 50 लाख से 1 करोड़ की सालाना आय होने का अनुमान है।
देखा जाए तो सरकार सीएनजी गाड़ियों, गंगा में सीएनजी बोट, सोलर एनर्जी, ई-व्हीकल, वृक्षारोपण, एलईडी बल्ब, बायोगैस, एसटीपी, सॉलिड लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट आदि के उपयोग को बढ़ावा देकर पहले से ही कार्बन उत्सर्जन को रोकने पर काम कर रही है। रोपवे भी इसमें मददगार साबित होगा। वाराणसी स्मार्ट सिटी के मुख्य महाप्रबंधक डॉ. डी वासुदेवन ने बताया कि सरकार इसे प्रमाणिक तौर पर करने के लिए सुनियोजित तरीका अपनाने जा रही है। इसके लिए स्मार्ट सिटी कंसल्टेंट के तौर पर एनकिंग इंटरनेशनल एजेंसी से एमओयू करने वाली है। स्मार्ट सिटी सरकारी कंपनियों से एमओयू करेगी और एक्सपर्ट एजेंसी उनको कार्बन क्रेडिट के फ़ायदे और तरीको के बारे में जानकारी देगी। साथ ही उद्योगों को कार्बन डाइऑक्साइड गैस के उत्सर्जन को कैसे रोकें इसके बारे में भी जागरूक करेगी। इसके अलावा जनता को भी इसके लिए जागरूक किया जाएगा।
कार्बन क्रेडिट का पैसों में मूल्यांकन करने का फार्मूला
एक कार्बन क्रेडिट, एक टन (1000 किग्रा) कार्बन उत्सर्जन के बराबर होता है। यदि कोई शहर 5 हज़ार क्रेडिट कार्बन प्राप्त करके अंतरराष्ट्रीय रजिस्टर्ड संस्था को बेचता है तो उसे 5000 x 4 डॉलर = 20,000 डॉलर का मौजूदा रेट के हिसाब से आय होगी। उन्होंने बताया कि अब वाराणसी की आय इस पर निर्भर करेगी की काशी की जनता कितनी जागरूक है और वे सीएनजी गाड़िया व बोट, सोलर एनर्जी, ई-व्हीकल, एलईडी बल्ब, बायोगैस, सॉलिड लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट, एसटीपी आदि का इस्तमाल और वृक्षारोपण करके कार्बन उत्सर्जन कितना रोका पाती है और कितना कार्बन क्रेडिट प्राप्त कर पाती है। जनता के साथ सरकारी और गैर सरकारी उद्योगों की भी भूमिका अहम् होगी।
क्या है कार्बन क्रेडिट?
कार्बन क्रेडिट अंतरराष्ट्रीय उद्योग में उत्सर्जन नियंत्रण की योजना है। कार्बन क्रेडिट सही मायने में किये गये कार्बन उत्सर्जन को नियंत्रित करने का प्रयास है, जिसे प्रोत्साहित करने के लिए धन से जोड़ दिया गया है। भारत, दक्षिण अफ़्रीकी एवं अन्य कुछ एशियाई देश जो वर्तमान में विकासशील अवस्था में हैं, उन्हें इसका लाभ मिलता है क्योंकि वे कोई भी उद्योग धंधा स्थापित करने के लिए यूनाइटेड नेशनल फ्रेमवर्क कनेक्शन आन क्लाइमेट चेंज (UNFCCC) से संपर्क कर उसके मानदंडो के अनुरूप निर्धारित कार्बन उत्सर्जन स्तर नियंत्रित कर सकते हैं। यदि कोई व्यक्ति, संस्था या शहर उस निर्धारित स्तर से नीचे, कार्बन उत्सर्जन कर रहा है तो निर्धारित स्तर व उनके द्वारा उत्सर्जित कार्बन के बीच का अंतर उनका कार्बन क्रेडिट कहलाएगा। (स्रोत: क्लाइमेट की कहानी )