गाज़ीपुर /राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) व प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान के अंतर्गत जनपद की 12 ग्राम पंचायतों ने अपने गाँव से टीबी का पूरी तरह से उन्मूलन कर दिया है। शुक्रवार को मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ देश दीपक पाल ने जिलाधिकारी आर्यका अखौरी को टीबी मुक्त हुईं 12 ग्राम पंचायतों की रिपोर्ट सौंपकर, उक्त सभी टीबी मुक्त ग्राम पंचायतों को वर्ल्ड टीबी डे (24 मार्च 2024) पर प्रमाण पत्र प्रदान किए जाने का अनुरोध किया। इसको स्वीकार करते हुये जिलाधिकारी ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी सहित समस्त स्वास्थ्य एवं पंचायती राज विभाग को बधाई दी और आगे भी इसी तरह कार्य करने के लिए प्रोत्साहित किया।
सीo मो oओ oने दीपक पाल बताया कि स्वास्थ्य एवं पंचायती राज विभाग के संयुक्त प्रयास से ब्लॉक स्तर पर कुल 22 ग्राम पंचायतों ने टीबी मुक्त होने का दावा पेश किया था। इन दावों के सत्यापन के लिए जनपद स्तरीय तीन सत्यापन समिति का गठन किया गया था। इन समितियों ने दावा पेश करने वाली सभी 22 ग्राम पंचायतों का सत्यापन किया, जिसमें 10 ग्राम पंचायतें सरकार के निर्धारित टीबी मुक्त पंचायत के मानकों पर खरी नहीं उतर सकी, जो पुनः दावा पेश करेंगी। इसके अलावा शेष 12 ग्राम पंचायतें क्रमशः पिहुली (बाराचवार), रोहिली व शक्करपुर (कासिमाबाद), माधोपुर मिश्ररौली (बिरनों), गोड़ी खास (भांवरकोल/गोड़उर), सुगवलिया (रेवतीपुर), रामपुर सलेमपुर (सादात/मिर्ज़ापुर), इचवल (सैदपुर), शिवदाशीचक (देवकली) तथा लीलापुर व सोनहरिया (करंडा) ने निर्धारित मानकों को पूरा किया। इन्हें टीबी मुक्त ग्राम पंचायत के रूप में घोषित किया गया है। अब जनपद के 16 ब्लॉक की शेष 1226 (कुल 1238) ग्राम पंचायतें जल्द ही टीबी मुक्त होने का दावा पेश करेंगी और वर्ष 2025 तक प्रधानमंत्री के टीबी मुक्त जनपद, प्रदेश व देश के संकल्प को पूरा करेंगी।
सी एम ओ ने कहा कि टीबी मुक्त ग्राम पंचायत अभियान में पंचायती राज विभाग की ओर से महत्वपूर्ण सहयोग मिल रहा है। टीबी मुक्त पंचायत अभियान को सफल बनाने में पंचायती राज अधिकारी सहित समस्त अधिकारी, ग्राम प्रधान एवं अन्य कर्मी अपना अहम योगदान दे रहे हैं। साथ ही जिला क्षय अधिकारी डॉ मनोज कुमार , जिला कार्यक्रम समन्वयक (डीपीसी) डॉ मिथलेश कुमार, जिला पीपीएम समन्वयक अनुराग कुमार पाण्डेय एवं एनटीईपी के समस्त एसटीएस, एसटीएलएस एवं स्वास्थ्य कर्मी भी पूरी लगन और जोश के साथ जुटे हुए हैं।
डीपीसी डॉ मिथिलेश ने बताया कि जनपद स्तरीय सत्यापन समिति में मुख्य चिकित्सा अधिकारी एवं उनके द्वारा नामित सदस्य, जिला पंचायती राज अधिकारी एवं उनके द्वारा नामित सदस्य, जिला क्षय रोग अधिकारी, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के प्रतिनिधि, मेडिकल कॉलेज के कम्युनिटी मेडिसिन के प्रतिनिधि एवं अन्य विभागों के प्रतिनिधियों को सम्मिलित करते हुए टीम का गठन किया गया था। टीम के द्वारा भौतिक सत्यापन किया गया। यह प्रक्रिया आगे भी इसी तरह संचालित की जाएगी।
डॉ मिथलेश कुमार ने बताया कि टीबी मुक्त ग्राम पंचायत के लिए शासन स्तर से छह मानक निर्धारित किए गए हैं, जो इस प्रकार हैं-
संभावित टीबी जांच की संख्या (प्रति 1000 की आबादी पर 30), टीबी नोटिफिकेशन दर (प्रति 1000 की आबादी पर एक या उससे कम टीबी रोगी),टीबी उपचार की सफलता दर (100 प्रतिशत)दवा संवेदनशीलता जांच की दर (100 प्रतिशत),निक्षय पोषण योजना (100 प्रतिशत )टीबी मुक्त भारत अभियान के अंतर्गत टीबी मरीजों को पोषण संबंधी सहायता प्राप्त हुआ हो l