‘पैसे की भूख’ के बीच एक सरकारी स्कूल

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गाजीपुर । ‘मुश्किल नहीं है कुछ भी अगर ठान लिजिए’ यह सिर्फ एक फ़िल्मी गाने का बोल भर नहीं है बल्कि ज़िन्दगी का एक फलस़फा भी है। आप जहाँ हैं वहीं से बेहतर कर सकते हैं। जरुरत है सही सोच और जो मिला है उससे संतुष्ट होने की। संतुष्ट इसलिए कि आप जिस पेशा को अपना रहे हैं उसमें भरपूर आनंद तभी आएगा जब आप उसमें पूरे मनोयोग,लगन से रम जाएंगे । केवल पैसे की भूख होगी तो चाहे जितना भी मिल जाए कम होगा लेकिन अगर आप स्वस्थ सोच के होंगे तो आप को दुनिया सलाम करेगी । देश में ऐसे हजारों नाम हैं जिनका नाम लेकर हमारा सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है,इन्ही से कोई कोई प्रेरणा लेकर समाज में अपनी पहचान बनाता है। इस भूमिका के पीछे जनपद का एक गाँव है जिनके सोच ने गाँव के प्राथमिक/मीडिल स्कूल को माडल स्कूल ही नहीं बनाया अपितु शिक्षकों ने भी अपना कर्तव्य का बखूबी निर्वहन कर बच्चों को योग्य बना रहे हैं।

अध्यापक मनीष यादव
ग्राम प्रधान गुड्डू भैया.

जनपद मुख्यालय से सटा गाँव सिकंदरपुर के ग्राम प्रधान ने अपने विद्यालय को माडल मनाने के लिए शिक्षकों का सहयोग लेकर कायाकल्प कर डाला है। यहाँ तक कि ग्राम सभा के सलाना बजट का कुछ हिस्सा लगाकर न सिर्फ इस विद्यालय का रंगिरोगन कराया बल्कि पढ़ने योग्य माहौल बनाने में शिक्षकों ने भी भरपूर सहयोग दिया। ग्राम प्रधान राजेश कुमार सिंह बताते हैं कि 2010 तक ग्राम सभा का धन स्कूल में नहीं लगाया जा सकता था। उसके बाद शासनादेश आ गया और ग्राम सभा का मद का कुछ हिस्सा लगाया जाता है। सिकंदरपुर स्थित प्राथमिक/मीडिल स्कूल जनपद का प्रथम माडल स्कूल बनाने में यहाँ कार्यरत मनीष यादव जैसे नेक अध्यापकों को भी जाता है। जिन्होंने अपने कर्तव्य बखूबी निभाया है। ग्राम प्रधान राजेश कुमार सिंह उर्फ गुड्डू भैया और मनीष यादव की जोड़ी अगर जनपद के सभी गाँव को मिल जाए तो जनपद में स्वस्थ समाज की कल्पना जमीन पर उतरती दिखेगी। इस विद्यालय में आधुनिक शिक्षा पद्धति से पढ़ाई तो होती ही है साथ में अब लाइब्रेरी में बन रही है। गाँव के बच्चे इसी सरकारी विद्यालय में पढ़े इसके लिए ग्राम प्रधान की बच्ची‌भी इसी विद्यालय में पढ़ाई करती है। गुड्डू भैया बताते हैं कि जब प्राइवेट विद्यालय से अच्छे शिक्षक यहाँ हैं तो कहीं और क्यों भेजना। ऐसे शिक्षक और ग्राम प्रधान को भारत प्राइम सलाम करता है। ( स्रोत: Bhadas4media)

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