RO वाटर प्युरीफ़ायर लगाना चाहिए या नहीं ।
कई बार ये सवाल मन में आता है कि RO वाटर प्युरीफ़ायर लगाना सही रहेगा या गलती होगी क्योंकि फिर बाहर का पानी पी सकेंगे कि नहीं ?या पानी का टीडीएस बहुत कम हो जाता है जो को नुक़सान करता है । अथवा इससे पानी में घुले सारे मिनरल्स निकल जाएँगे तो आख़िर हम क्या करे ?
पहले RO की कार्यप्रणाली को समझते है
1. प्रारंभिक फिल्ट्रेशन:
– जब पानी RO सिस्टम में प्रवेश करता है, तो यह पहले एक प्री-फिल्टर से गुजरता है। यह प्री-फिल्टर पानी से बड़े कणों, गंदगी, रेत और तलछट को हटाने का काम करता है। यह पहला कदम है ताकि पानी की शुद्धिकरण प्रक्रिया सही ढंग से शुरू हो सके।
2. ऐक्टिव कार्बन फिल्टर प्री कार्बन :
– इसके बाद, पानी एक सक्रिय कार्बन फिल्टर से गुजरता है। यह फिल्टर पानी में मौजूद क्लोरीन, कीटनाशक और अन्य रसायनों को हटाने का काम करता है। इससे पानी का स्वाद और गंध भी सुधरती है।
3. रिवर्स ऑस्मोसिस (RO) मेम्ब्रेन:
– यह सबसे महत्वपूर्ण चरण है। RO मेम्ब्रेन एक अर्धपारगम्य मेम्ब्रेन होती है जो पानी के अणुओं को छोटे छिद्रों से गुजरने देती है लेकिन बड़े कणों और रसायनों को बाहर कर देती है। पानी में घुले हुए सॉल्ट्स, हैवी मेटल्स और अन्य अशुद्धियाँ इस मेम्ब्रेन में फंस जाती हैं और साफ पानी निकलता है।
4. पोस्ट-कार्बन फिल्टर:
– RO मेम्ब्रेन से शुद्ध पानी फिर एक पोस्ट-कार्बन फिल्टर से गुजरता है। यह फिल्टर पानी में मौजूद किसी भी अवशिष्ट गंध या स्वाद को हटाने का काम करता है, जिससे पानी और भी शुद्ध और पीने योग्य बन जाता है।
5. यूवी (अल्ट्रा वायलेट) फिल्टर:
– कुछ RO सिस्टम्स में एक यूवी फिल्टर भी होता है। यह यूवी लाइट पानी में मौजूद बैक्टीरिया, वायरस और अन्य सूक्ष्मजीवों को नष्ट करने का काम करती है, जिससे पानी 100% शुद्ध और सुरक्षित हो जाता है।
6. टीडीएस ऐडजस्टर:
– जैसे लोगो में जागरूकता आयी है कि हमे कम टीडीएस का पानी नहीं पीना चाहिए तो एक अतिरिक्त मेम्ब्रेन लगी होती है जो फिरसे पानी में मिनरल्स मिला देती है , जिससे की टीडीएस फिर बढ़ जाता है । पर किसी मशीन में ये मेम्ब्रेन नहीं होती तो ये ऐडजस्टर बिना फ़िल्टर किया हुआ पानी फिर साफ़ पानी में मिला देता है जो की इस पूरी मशीन का मूल उद्देश्य ही समाप्त कर देता है ।
अगर हमारा बस चले तो सभी घरों से RO हटाने को बोल देता, लेकिन वर्तमान में नदियाँ और भूजल अत्यधिक प्रदूषित हो चुके है
और जहरीले रसायन और प्लास्टिक के सूक्ष्म कण पानी में घुल चुके है, हमारे उपाय अब उन्हें पानी से अलग नहीं कर सकते।
क्योंकि खेती और फ़ैक्टरियों में अत्यधिक कीटनाशको का उपयोग होता है , और साथ जी अभी पानी में माइक्रोप्लास्टिक और एल्युमीनियम की भी मात्रा बहुत बढ़ गई है जो की सामान्य फ़िल्टर से हटायी नहीं जा सकती ।
लेकिन अभी भी जो पहाड़ों पर है और जिन नदियों के किनारे खेती या कोई फैक्ट्री नही है उन भाग्यशाली जन को बिना RO का पानी नहीं पीना चाहिए अगर आप RO का पानी पीते हैं तो वो पाप के समान है।
पहाड़ों की नदिया अपने साथ पानी में मिनरल्स और औषधियों का भंडार लेकर चलती है, उनका जल ही औषधि है।
नदी के जल को साफ करने के बरतन को एक घण्टे के लिए धूप में रख ले , सूर्य से अच्छा एंटीबैक्टीरियल कोई नही है। या फिर एक बार उबाल ले, इसे पक्का पानी भी कहते है। फिर कचरे को साफ करने के लिए फिटकरी को लेकर पानी में एक बार घुमा ले।
आप चाहे तो चुना पत्थर और चारकोल के फिल्टर भी इस्तेमाल कर सकते है।
पर मैदान पर रहने वालो के लिए RO के अलावा फिलहाल विकल्प नहीं है।
आख़िर में टीडीएस की बात कर लेते है की कितने टीडीएस का पानी पीना चाहिए?
टीडीएस का मतलब है टोटल डिसॉल्व सॉलिड।
अब जरूरी ये नही की कितना टीडीएस है, जरूरी ये है कि उसमे क्या मिला है?
वैसे तो 500 टीडीएस का पानी भी दिक्कत नहीं देता और 50 टीडीएस में आर्सेनिक , एल्युमीनियम या फ्लूरोइड मिला हो तो परेशानी दे सकता है।
RO का रखरखाव
RO के फ़िल्टर की उम्र ज़्यादा बढ़ाने के लिए जो बाहर के फ़िल्टर है उसके एक अतिरिक्त फ़िल्टर लगवा लेना चाहिए , और बाक़ी सिर्फ़ 3 फ़िल्टर ही ज़रूरी है बाक़ी का कोई विशेष मतलब नहीं है
ये फ़िल्टर भी ओपन मार्केट में 1500 तक आ जाते है उसे किसी RO सुधारने वाले से लगवा सकते है ।
एक और विशेष बात आजकल कॉपर वाली ट्यूब का चलन बढ़ गया है , उसका उपयोग भूल कर भी ना करे ।
जानकारी कैसी लगी ज़रूर बताये और ऐसी ही जानकारी के लिए @Desi_Alchemist को फॉलो कर सकते है।