मुगल गार्डन नहीं, अब अमृत उद्यान कहिए ज़नाब

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दिल्ली। राष्ट्रपति भवन में स्थित मुगल गार्डन का नाम अब अमृत उद्यान कर दिया गया है। अमृत महोत्सव के तहत गार्डन का नाम बदला गया है। अमृत उद्यान (मुगल गार्डन) में 12 किस्म के ट्यूलिप के फूल होते हैं।यह हर साल आम लोगों के लिए खुलता है। इस साल भी 31 जनवरी से खुलेगा। लोग यहां 12 बजे से रात नौ बजे तक यहां घूमने आ जा सकते हैं। 

अगर आप अमृत उद्यान मेट्रो से जाना चाहते हैं तो आपके लिए सबसे नजदीकी मेट्रो स्टेशन सेंट्रल सेक्रेटरिएट होगा। आपकी जानकारी के लिए बता दें अमृत उद्यान में एंट्री निशुल्क है आप अपने साथी के साथ अच्छा समय बीता सकते हैं। अमृत उद्यान सोमवार को बंद रहता है आप इस दिन ना आएं इसके अलावा इस साल होली पर भी बंद रहेगा, साथ ही यहां खाने-पीने का समान लेकर जाना सख्त मना है।

दरअसल, सरकारें समय-समय पर कई जगहों के नाम बदलती रहती हैं। इस क्रम में कई भवनों, संस्थाओं और सड़कों के नाम बदले जा चुके हैं। औरंगजेब रोड का नाम बदलकर अब्दुल कलाम रोड, योजना आयोग का नाम बदलकर नीति आयोग, रेसकोर्स रोड का नाम बदलकर लोक कल्याण मार्ग और फिरोज शाह कोटला स्टेडियम का नाम बदलकर अरुण जेटली स्टेडियम रखा जा चुका है।

15 एकड़ की विशाल क्षेत्र में फैले मुगल उद्यान को अक्सर और यथायोग्य रूप से प्रेजीडेंशियल पैलेस की आत्मा के रूप में चित्रित किया जाता है। मुगल उद्यान जम्मू और कश्मीर के मुगल उद्यानों, ताजमहल के आस-पास के उद्यानों और भारत और फारस की लघु पेंटिंगों से प्रेरित हुआ दिखाई देता है।

सर एडविन लुट्येन्स ने 1917 में मुगल उद्यान के डिजायन को अंतिम रूप दिया था, तथापि वर्ष 1928-29 के दौरान वृक्षारोपण का कार्य किया गया था। उद्यान के लिए उनके सहायक, बागवानी के निदेशक, विलियम मस्टो थे। राष्ट्रपति भवन की तरह से ही इसमें दो अलग-अलग शैली के वास्तुशिल्प थे, भारतीय और पश्चिमी। इसी प्रकार, सर एडविन लुट्येन्स ने दो बागवानी परंपराओं, मुगल शैली और अंग्रेजी पुष्प उद्यान को उद्यानों के लिए एक साथ मिला दिया। मुगल नालियां, चबूतरों, पुष्पदार झाड़ियों को यूरोपीय क्यारियों, लॉन तथा प्रच्छन्न झाड़ियों के साथ सुन्दर ढंग से मिश्रित किया गया है।

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