आत्म सुधार का मार्ग

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संकलन: पंडित भानूप्रताप चौबे

आत्म संयम का कार्यक्रम संसार की सबसे बड़ी सेवा है। अपना आदर्श प्रस्तुत किये बिना हम दूसरों को अच्छाई की ओर एक कदम भी आगे बढ़ने की प्रेरणा नहीं दे सकते और न जिस गिरी हुई स्थिति में पड़े हुए हैं उससे ऊँचे उठ सकते हैं। इसलिए आत्मनिरीक्षण, आत्मसुधार और आत्मविकास के लिए विचार करने योजना बनाने और उस निर्धारित कार्यक्रम पर चलने का हमें नियमित प्रोग्राम बनाना चाहिए। अपने विचार और कार्यों का लेखा−जोखा रखने के लिए, डायरी में चार विभाग बना लेने चाहिए।

(1) आज हमने साधना के लिए कितना समय लगाया और उपासना के लिए कितना समय लगाया और उपासना के कर्मकाण्ड के साथ−साथ जो भावनाऐं रखनी चाहिए वे कितनी श्रद्धा के साथ कितनी गहराई तक रखीं?*

(2) आज हमने स्वाध्याय की दृष्टि से कौन सी पुस्तकें के कितने पृष्ठ पढ़े और उन में प्राप्त हुई महत्वपूर्ण बातों पर कितनी देर मनन-चिन्तन किया?

(3) आज हमने अपने दिन भर के विचारों और कार्यों की बड़ी समीक्षा करके उनमें क्या−क्या गुण-दोष पाये और कल उन दोषों को सुधारने एवं गुणों को बढ़ाने के लिए क्या निश्चय किया?

(4) आज हमने दूसरों को क्या सेवा लाभ दिया? इन चारों बातों पर यदि नित्य बारीक नजर रखी जाय, इनके महत्व को सोचते-समझते रहा जाय और दैनिक जीवन में इनके लिए स्थान दिया जाता रहे तो एक बहुत बड़े अभाव की पूर्ति हो सकती है। ऐसी डायरी रखना और उसे नित्य लिखना प्रत्येक आत्म कल्याण के इच्छुक के लिए आवश्यक है।

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