“मसीहा” शब्द का दूसरा नाम हो गया है “सोनू सूद”

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Sonu Shood

आप किसी मूवी में हीरो को लोगों की सहायता करते हुए देखते हैं तो खड़े होकर सीटियां और तालियां बजाते हैं। वह हीरो पर्दे पर एक काल्पनिक पात्र को जी रहा होता है। हम उसके एक काल्पनिक नेक कार्यों के लिए उसे उत्साहित करने के लिए अपने जगह से खड़े होकर तालियां और सीटियां बजाते हैं। हम जानते हैं वह हमारी समस्याओं का निदान नहीं कर सकता है। लेकिन हमारी समस्याएं छोटी लगने लगती हैं जब वह पर्दे पर किसी गरीब लाचार कैरेक्टर की हेल्प कर रहा होता है।

शायद सोनू सूद ने मुख्य हीरो के किरदार में कभी किसी दूसरे का हेल्प करते हुए नहीं दिखाई दिए होंगे। बल्कि दूसरों की जमीने, बहू बेटी और लड़कियों को छेड़ना, लोगों से मारपीट करना और अवैध कब्जे या अनेकों प्रकार के जो एक मूवी में विलेन करता है वह सारे कार्य के किरदार को पर्दे पर जीते आ रहे हैं लेकिन असल जिंदगी में सोनू इसके ठीक विपरीत लोगों को महाराष्ट्र से बिहार, गोवा से बिहार, केरला से यूपी प्रवासी मजदूरों को पहुंचाने का कार्य हो या श्री नरेंद्र मोदी जी के संसदीय क्षेत्र में 300 लोगों को खाना पहुंचाने का कार्य हो इन सभी जगहों पर सोनू सूद ने एक रियल हीरो की भूमिका अदा किया है।

जहां तक मुझे पता है इंडिया में भारत में हर चार व्यक्ति पर एक एनजीओ है सोचिए इतनी एनजीओ को रहते हुए भी या यूं कहें इतनी एनजीओ ने जितने लोगों की हेल्प नहीं की होगी, पिछले 4 से 6 महीने के अंदर उससे कहीं-कहीं ज्यादा गुना सोनू सूद ने लोगों की हेल्प की है। लोगों ने उनको मसीहा, भगवान, खुदा, गॉडफादर और ना जाने क्या-क्या के टाइटल से बुला रहे हैं।

जब आप उनके ट्विटर प्रोफाइल पर जाएंगे तो देखेंगे कि हजारों लोग अपने लिए हेल्प मांग रहे होंगे या हजारों लोग उनको धन्यवाद दे रहे होंगे जो उनसे हेल्प ले चुके हैं। अब हमें यह तय करना है कि एक व्यक्ति यदि इतना बड़ा बदलाव कर सकता है तो हम सभी एक या दो लोगों की मदद करेंगे तो कितना बड़ा बदलाव कर सकते हैं।

मैं यह दावे के साथ कह सकता हूं कि जितना हेल्प के मैसेजेस, कॉल, ईमेल और ट्विटर पर ट्वीट सोनू सूद को मिले होंगे उसका 1 परसेंट भी भारत की जनता अपने सांसद विधायक एमएलसी या ग्राम प्रधान से मदद नहीं मांगा होगा। यह इसलिए है क्योंकि एक तरफ एक बंदा हजारों लोगों का 1 दिन में रिस्पांस कर देता है और दूसरी तरफ सरकारी तंत्र 1 दिन में एक व्यक्ति का भी समस्या का समाधान नहीं कर पाता है।

शायद सोनू सूद ने भी यही सोचा होगा कि लॉकडाउन में लोगों को उनके घर तक पहुंचा दूंगा तो उनका काम पूरा हो जाएगा। शायद वह भी नहीं जानते थे कि यह तो वह केवल शुरू कर रहे हैं। अभी उन्हें पूरे देश का हीरो बनने का गौरव प्राप्त करना है। आज मैं उनका ट्वीट देख रहा था उन्होंने हायर एजुकेशन के लिए स्कॉलरशिप का प्रोग्राम बनाया है जो इंडिया का कोई भी बच्चा उनसे मदद मांग सकता है। उन्होंने लोगों से कहा है इस स्कॉलरशिप को पाने के लिए कोई भी उन्हें उनकी ईमेल आईडी scholarships@sonusood.me पर मेल कर सकता है।

हमारे मित्र मनोज कुमार शर्मा काफी दिनों से सोनू सूद का गुणगान गा रहे थे तो मैंने सोचा आज उनके बारे में ही पोस्ट बनाई जाए। पिछले 2 महीने से उन्होंने लगभग हर एक दिन सोनू सूद के ट्वीट के बारे में बताया है थोड़ी मेरी भी क्यूरिसिटी बढ़ी और जब मैंने उनका पेज देखा तो मुझे एहसास हुआ कि वह कितना बड़ा काम कर रहे हैं। हम लोग डिस्कस करते रहते हैं कि वह इतना पैसा कहां से ला रहे हैं जो इतने लोगों की हेल्प करने जा रहे हैं लेकिन मुझे लगता है “जहां चाह है, वही राह है।”

यह उस बात को भी चरितार्थ करते हैं कि “जब किसी काम को शिद्दत से करना चाहो तो पूरी कायनात उसकी सहायता करने में जुड़ जाती है” जय हिंद।

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