सरकारी मुलाज़िम की तरह नियमावली से नहीं बंधा है सज़ायाफ्ता जनप्रतिनिधि: कानून मंत्रालय

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सुप्रीम कोर्ट में केन्द्र सरकार का हलफनामा

दिल्ली । अदालत से दोषी करार नेताओं पर आजीवन चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध वाली याचिका का केंद्र सरकार ने उस याचिका का विरोध किया जिसमें आपराधिक मामले में दोषी ठहराए गए नेताओं (मौजूदा सांसद और विधायक सहित) के आजीवन चुनाव लड़ने पर पाबंदी लगाने की मांग की गई है।

कानून मंत्रालय ने अपने जवाब में कहा की जनसेवक और राजनेताओं में कोई अंतर नहीं है, लेकिन जनप्रतिनिधियों के सेवा नियम में इस तरह का कोई नियम नहीं है कि उन्हें चुनाव लड़ने वंचित किया जाए। मंत्रालय ने अपना जवाब भाजपा नेता अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा संशोधित आवेदन पर दिया है।

सरकार ने अपने हलफनामे में 2019 के पब्लिक इंटरेस्ट फाउंडेशन केस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया है, जिसमें कहा गया था, हालांकि राजनीति का अपराधीकरण एक कड़वा सत्य है, जो लोकतंत्र के गढ़ के लिए दीमक है, पर कोर्ट कानून नहीं बना सकता है।

उल्लेखनीय है कि चुनाव आयोग ने कुछ साल पहले निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को गंभीर अपराध में दोषी ठहराये जाने पर आजीवन चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगाने का समर्थन किया था। 

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