Saturday, July 27, 2024
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कृषि अनुसंधान में राजनीतिक इच्छाशक्ति और नीति समर्थन ने विभिन्न शोध आधारित क्रांतियों के माध्यम से हमें परिणाम दिए – डॉ वी.के. सिंह

दीपक कुमार त्यागी / स्वतंत्र पत्रकार

वाराणसी, 17 अप्रैल 2023। गाजियाबाद के सांसद एवं केंद्रीय सड़क परिवहन राजमार्ग एवं नागर विमानन राज्यमंत्री जनरल डॉ वी.के. सिंह ने वाराणसी में आयोजित कृषि प्रमुख वैज्ञानिकों (एमएसीएस) की G20 बैठक में उपस्थित होकर उद्घाटन भाषण दिया। इस बैठक के दौरान बहुत खास मुद्दों पर विस्तार से चर्चा हुई। चर्चा के लिए खाद्य सुरक्षा और पोषण, जलवायु, स्मार्ट कृषि, डिजिटल कृषि, सार्वजनिक निजी भागीदारी आदि सहित कृषि अनुसंधान और विकास के विभिन्न मुद्दों को चुना गया। एग्रीकल्चर वर्किंग ग्रुप की इस बैठक में बैठक में G20 सदस्य देशों ऑस्ट्रेलिया, अर्जेंटीना, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मैक्सिको, कोरिया गणराज्य, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम, यूएसए के लगभग 80 विदेशी प्रतिनिधि और यूरोपीय संघ के आमंत्रित अतिथि देश के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। भारत की अध्यक्षता के दौरान G20 पहल के रूप में “मिलेट्स और अन्य प्राचीन अनाज अंतर्राष्ट्रीय अनुसंधान पहल (महर्षि)’ भी विचार विमर्श किया गया। ‘महर्षि’ का उद्देश्य 2023 और उसके बाद के अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष के दौरान मिलेट्स और अन्य प्राचीन अनाजों के बारे में अनुसंधान सहयोग को आगे बढ़ाना और जागरूकता पैदा करना है। 3 दिवसीय इस कार्यक्रम में वाराणसी पधारें विदेशी प्रतिनिधियों को भारत की समृद्ध सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत के अनूठे अनुभव का स्वाद चखाने की व्यवस्था की है। बैठक के तकनीकी सत्रों में खाद्य सुरक्षा और पोषण, लचीला कृषि खाद्य प्रणाली, डिजिटल कृषि और टिकाऊ कृषि-खाद्य मूल्य श्रृंखला और कृषि अनुसंधान और विकास के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी से संबंधित विभिन्न उप-विषयों पर विशेषज्ञों द्वारा प्रस्तुतियां थी। इस बैठक में भारत की ओर से कई अहम मुद्दों पर चर्चा करते हुए बताया गया कि “कृषि अनुसंधान में राजनीतिक इच्छाशक्ति और नीति समर्थन ने विभिन्न शोध आधारित क्रांतियों के माध्यम से हमें परिणाम दिए। हरा, सफेद, पीला, नीला, सुनहरा, चांदी और सदाबहार क्रांतियां हमारी मेहनत का नतीजा है। भारत दलहन, दूध, जूट, मसाले, पोल्ट्री और भैंस और बकरियों की पशुधन आबादी का प्रमुख उत्पादक है। हम अपने कृषि उत्पादन को 1950 के 135 मीट्रिक टन से बढ़ाकर 2022 में 1300 मीट्रिक टन करने में सक्षम हुए हैं। यह क्षेत्र लगभग 47% कार्यबल को संलग्न करता है और भारत के सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 17% का योगदान देता है। हम महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार और पोषण संबंधी मुद्दों के त्वरित समाधान के लिए बायो-फोर्टिफाइड फसल किस्मों की ओर बढ़ रहे हैं। भारत में 5 मिलियन हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र विभिन्न फसलों की बायो-फोर्टिफाइड किस्मों के अधीन है।”

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