‘बिहार में का बा’ और ‘मिथिला में इ बा’ के बीच बिहार की सियासत

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‘बिहार में का बा’ को लेकर बिहार की   सियासत गरम हो गया है। भभुआ निवासी नेहा सिंह राठौर भोजपुरी लहजे में बिहार की राजनीति पर तीखा प्रहार कर रही हैं। जिसके जवाब में बिहार की एक अन्य मशहूर गायिका मैथिली ठाकुर ‘ मिथिला में इ बा’ गाकर जवाब दिया है।

अनुभव सिन्हा और मनोज बाजपेयी की टीम ने मुम्बई में का बा के नाम से एक रैप क्या बनाया उस रैप से ज्यादा बिहार में का बा का स्लोगन चल पड़ा । हालांकि नेहा सिंह राठौर इस गाने से पहले भी क ई भोजपुरी धुन गीत- गारी,ननद भौजाई की ठिठोली के तर्ज पर राजनीति पर करारा प्रहार करते हुए गीत सोशल मीडिया पर अपलोड करतीं रहीं हैं। इनके गाने का लहजा बिल्कुल ठेठ होता है जिसे गवार से लेकर पढ़े- लिखों के बीच आसानी से पहुच जाता है और बहुत पसंद भी किया जाता है। इनके लहजे और व्यंगात्मक शैली की ख्याति देश भर के लोगों,मीडिया का ध्यान आकर्षित करने लगा । देश के नामी मीडिया इनके इन्टरव्यू लेने इनके गाँव पहुँच गये। चूंकि इस समय बिहार में चुनाव है तो इनके गाये गानों को विपक्ष के लोग खूब वायरल,शेयर कर रहे हैं। ऎसे में सरकार की खासी किरकिरी हो रही है। इनको ट्रोल किया जा रहा है। नेहा सिंह राठौर और मैथिली ठाकुर के अलावा बिहार में प्रतिष्ठित कवि डा० अनिल चौबे भी कुद गये हैं हालांकि श्री चौबे बिहार के गरिमामयी इतिहास पर अपनी कविता-

सुन बिहार में का बा

अरे सुन ले बिहार में का बा,

इ बिहार ह महावीर आ बुद्ध के ज इसन ज्ञानी के

सिख्खन के दसमेश गुरू गोविन्द सिंह बलिदानी के….

https://www.youtube.com/watch?v=y57tYReXd8s

गाकर बिहार के एतिहासिक,गौरवशाली परम्परा को जीवंत करते हुए अपनी बात रख्खी है। जबकि नेहा जनवादी गीत गाकर सरकार द्वारा किये गये वायदों को अपना विषय बना कर हमलावर हैं । यह बात सरकारी तंत्र के ट्रोल घराने को नागवार गुजर रही है। इधर सरकार को मैथिली के रुप में एक सहयोगी मिली है तो उधर ट्रोल घराना नेहा पर अपशब्द भाषा का प्रयोग कर हतोत्साहित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही जिसका पता ट्विटर पर नेहा के द्वारा किया जा रहा भावुक अपील से चलता है।

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