उन्होंने सुलभ इंटरनेशनल के माध्यम से बड़े स्तर पर सामाजिक परिवर्तन का काम किया…।
भारत में शौचालय क्रांति लाने वाले बिंदेश्वर पाठक को साल 2015 में ‘लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड’ से सम्मानित किया गया था. बता दें कि देश में स्वच्छ भारत अभियान शुरू होने से बहुत पहले ही बिंदेश्वर पाठक ने सफाई को लेकर बेहतरीन पहल की थी. सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार, सामाजिक विकास तथा मानवाधिकारों की रक्षा के क्षेत्र में सक्रिय योगदान देने वाले पाठक ने ‘स्वच्छता’ को ‘सुलभ’ के रूप में नई पहचान दी और इसके लिए उन्होंने दुनियाभर में नाम कमाया.
गौरतलब है कि देशभर में जितने भी सुलभ शौचालय आज दिखाई देते हैं वो डॉक्टर बिंदेश्वर पाठक की दूरगामी दृष्टि का ही नतीजा हैं. उन्होंने कई वर्षों पहले इस मिशन पर काम शुरू किया और देशभर में शौचालय का निर्माण कराया.
बिंदेश्वर पाठक बिहार के वैशाली जिले के रहने वाले थे, 80 वर्षीय बिंदेश्वर पाठक को साल 1999 में पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. साल 2003 में विश्व के 500 उत्कृष्ट सामाजिक कार्य करने वाले व्यक्तियों की सूची में उनका नाम प्रकाशित किया गया. बिंदेश्वर पाठक को एनर्जी ग्लोब समेत कई दूसरे पुरस्कारों से भी सम्मानित किया जा चुका है.
स्वच्छता और शौचालय के क्षेत्र में जब किसी ने नहीं सोचा था, उन्होंने इसे बिज़नेस मॉडल में बदल दिया और न जाने कितने लोगों को रोज़गार दिया। दिल्ली में एक शौचालय म्यूज़ियम भी बनाया।
ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति और शोक की इस घड़ी में उनके परिजनों और चाहनेवालों को धैर्य प्रदान करें।