Tuesday, January 21, 2025
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क्या गरीबों की लिए जरूरी दालें और दाल-रोटी के गेहूँ आवश्यक वस्तुएं नहीं हैं ?

केंद्र सरकार ने जो तीन कृषि कानून पारित किए हैं, उसमें आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून भी एक है। सामान्य भाषा में सरकार ने इस कानून में जो संशोधन किया है, उसके अनुसार सरकार ने चावल, गेहूँ, दलहन, तिलहन, खाद्यतेल, आलू, प्याज को आवश्यक वस्तुओं की सूची से बाहर कर दिया है। अर्थात अब इन वस्तुओं के भंडारण पर सरकार का कोई अंकुश नहीं रहेगा। कोई भी कंपनी, पूंजीपति या व्यापारी इन वस्तुओं को जितना चाहे खरीद सकते हैं और उनका भंडारण कर सकते हैं।

आम जनता और किसानों का सामान्य प्रश्न है कि अगर आवश्यक वस्तुओं की सूची से गेहूँ, चावल, दालें, खाद्यतेल, तिलहन, आलू और प्याज को बाहर कर दिया है, तो फिर उस सूची में जीवन के लिए इनसे अधिक आवश्यक कौन सी वस्तुएं बच गयीं हैं ? अगर गरीब की दाल -रोटी का साधन गेहूँ और दाल जीवन के लिए आवश्यक नहीं है तो फिर उनसे अधिक आवश्यक क्या है ?

भारत में द्वितीय विश्वयुद्ध के समय (1939-45) के समय अंग्रेज सरकार ने खाद्यान्न भंडारण पर अंकुश लगाया था। बाद में 1955 से केंद्र सरकार का आवश्यक वस्तु कानून लागू था। इस कानून की आवश्यकता ही इसलिए पड़ी थी, क्योंकि कुछ लालची व्यापारी अधिक मुनाफा कमाने के लिए जीवनावश्यक वस्तुओं की जमाखोरी करने लगे थे। उस जमाखोरी पर अंकुश लगाने के लिए ही यह कानून आया था। बाद में उसमें अन्य वस्तुएं भी जुड़ती गयीं। अब तो इस देश में पूंजीपतियों की थैलियां विशालकाय हो गयी हैं। इस कानून में संशोधन से भंडारण की असीमित छूट मिलने के बाद क्या कुछ लालची व्यापारी फिर जमाखोरी करके आम जनता का शोषण नहीं करेंगे ? चूंकि इस देश के उपभोक्ताओं में 70% गांवों में रहने वाले किसान ही हैं, इसलिए आंदोलन कर रहे किसानों को इस नए कानून ने अधिक आशंकित किया है।

क्या यह जरूरी है कि खाद्य वस्तुओं के व्यापार भी देशी-विदेशी राक्षसकाय 4-5 कंपनियों के हाथों में ही चला जाए ? अमेरिका या यूरोप की नकल करना ही क्या बुद्धिमानी है ? क्या हमारे मॉडल्स को ही सुधार कर उपभोक्ताओं को अधिक आश्वस्त नहीं किया जा सकता हैं ? अगर सरकार को लगता है कि पहले के आवश्यक वस्तु कानून में भंडारण की दी हुई सीमा कम है, तो हमारा सुझाव है कि सरकार कानून में भंडारण की सीमा को कुछ बढ़ा सकती है। पर चावल, गेहूँ, दालें, तिलहन, खाद्यतेल, आलू, प्याज को आवश्यक वस्तुओं की सूची से हटाने को कोई भी सही नहीं ठहरा सकता है।

भविष्य में देश में जमाखोरी का संकट न उत्पन्न हो, खाद्य पदार्थों का व्यापार 4-5 देशी-विदेशी कंपनियों के हाथ में न सिमट जाए, आम जनता को बार बार भीषण महंगाई का संकट न झेलना पड़े, इसके लिए सरकार तुरंत फिर से चावल,गेहूँ, दालें, तिलहन, खाद्यतेल, आलू, प्याज को आवश्यक वस्तु कानून की आवश्यक वस्तु सूची में शामिल करेगी, ऐसी मुझे आशा है।

( वरिष्ठ राष्ट्रवादी चिंतक के.एन.गोविन्दाचार्य के एफबी वाल से)

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