गाजीपुर । जिले के सुहवल गाँव में प्रत्येक वर्ष की भांति संत मानदास बाबा मंदिर प्रांगण में लगने वाला अगहन का धनुषयज्ञ मेला इस साल कोरोना की भेंट चढ़ गया है या जनपद में धारा 144 लागू होने की वजह से नही लग रहा हैं यह कौतुहल का विषय है। इस मेला कि तैयारी मार्च में ही पुरी कर ली गयी थी। मंदिर पर हवन कुंड/ हवन मंडप आदि का निर्माण हो गया था।
लगभग 200 वर्षों से क्षेत्र में लगने वाला एकमात्र प्रमुख धनुषयज्ञ का मेला हैं जिसमें बहुत ही दूर दूर से दुकानें, चर्खी, और गृहस्थी का समान बेचने वाले आते हैं जो इस वर्ष नदारद हैं । इस मेले में अंतरराज्यीय चेतक प्रतियोगिता और विराट दंगल का भी आयोजन होता आरहा हैं लेकिन इस बार सब रंग फीका है। बच्चों द्वारा सांकेतिक रुप से माता पार्वती की झांकी अवश्य निकाली गयी लेकिन लोग घरों से बाहर नहीं निकले जिस कारण मेला की आस लगाये कुछ दुकानदार भी वापस अपने गंतव्य लौट रहे हैं।
वैसे देखा जाए तो ऐतिहासिक बलिया का ददरी मेले का भी इस साल बेरंग है हालांकि उस मेले के लिए परमिशन लिया गया है बावजूद फीका है।
सुहवल का मेला तो वैसे अगहन शुदी तेरस से ही चालू हो जाता हैं जिसकी रौनक गाँव मे घूम घूम कर हफ्ते पहले ही चनाजोर गरम बेचने वालो की वजह से आजाती हैं, जिससे छोटे बच्चे भी समझ जाते थे कि अब मेला लगने वाला है लेकिन इस वर्ष ऐसा देखने को नही मिला जिससे गांव के बच्चे काफी निराश हुए। गाँव मे भी मेले के प्रति अभी कोई तैयारी होती उससे पूर्व ही बीते दो दीन पहले जिलाप्रशासन ने जनपद में धारा 144 लागू कर दिया जिससे बिना किसी परमिशन के कोई भी समारोह या आयोजन यहाँ तक कि मेले पर भी रोक लग गई।
कल धनुषयज्ञ के दिन के पूर्व आज ही फुलवारी के दिन ही मेले में दुकानें आजाती हैं लेकिन एकाध दुकानें जो आयी वो भी ग्रामीणों ने बताया कि मेला न लगने की वजह से वापस हो गए।
चुकि वर्षों से संत मानदास बाबा के कृपा स्वरूप लगने वाले मेले की परम्परा को प्रतीक के रूप में मनाया जा रहा हैं जिसमें अहिल्या तारन, ताड़कावध, फुलवारी की झांकी व धनुषयज्ञ तथा रामविवाह का मंचन बड़ी धूम धाम से होती रही हैं।
ग्रामीणों ने बताया कि इससे पूर्व लगभग 50 वर्ष पूर्व महामारी आई थी जिसमें मेला नही लगा था लेकिन परम्परा को निभाया गया था।