Tuesday, January 21, 2025
spot_img
HomeEditors' Choiceज्वलंत मुद्दों पर जवाब की जगह सरकार उल्टा विपक्ष को कटघरे में...

ज्वलंत मुद्दों पर जवाब की जगह सरकार उल्टा विपक्ष को कटघरे में खड़ा कर रही है!

बृजेश कुमार/
वरिष्ठ पत्रकार

नई दिल्ली देश की राजनीति में हंगामा ना हो यह तो संभव ही नहीं है, इस बार भी बजट का शीतकालीन सत्र चढ़ा हंगामें की भेंट चढ़ गया। एक तरफ जहां राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा के उपरान्त वापस अपने काम पर लौट चुके हैं, तो वहीं दूसरी तरफ 2024 के चुनाव की आहट साफ सत्ता पक्ष व विपक्ष दोनों में ही साफ दिखायी पड़ रही है। राहुल गांधी जहां पूरे जोश में हैं, संसद के शीतकालीन सत्र में अपने अनुभव साझा किये, तो दूसरी तरफ बीजेपी के लिये कई मुश्किलें भी खड़ी कर दी। भले ही बीजेपी के नेता या स्वयं प्रधानमंत्री ऐसा दिखावा कर रहे हैं कि अडानी मामले का कोई फर्क नहीं पड़ेगा लेकिन उन्हें भी पता है कि अडानी मामला बीजेपी के लिये आसान नहीं होने वाला है। इसके पहले गाहे -बगाहे ही मीडिया कांग्रेस को तरजीह देती थी। लेकिन यात्रा के दौरान जिस तरह का राहुल का प्रदर्शन रहा मीडिया उन्हें पूरी जगह दे रहा था। सड़क से लेकर संसद तक पक्ष हो या विपक्ष उनके बीच में लगातार अडानी-मोदी भाई-भाई के नारे विपक्षी दलों के राजनेता लगातार लगाते रहे। प्रधानमंत्री ने विपक्ष के 70 सालों का रिकार्ड बताते हुये साथ ही नेहरू पर भी टिप्पणी की। देश प्रधानमंत्री से जहां उम्मीद कर रहा था कि वह बेरोजगारी, मंहगाई, अर्थव्यवस्था पर बात करेंगे लेकिन ऐसा हुआ नहीं। उल्टा प्रधानमंत्री मोदी ने विपक्ष को कटघरे में खड़ा कर दिया और कहा कि विपक्ष देश का विकास अवरूद्ध करना चाहता है। हालांकि किसी भी देश की स्थिति के बारे में जानने का अधिकार विपक्ष एवं जनता दोनों को ही होता है। साथ ही संविधान द्वारा विपक्ष के पास अधिकार हैं कि विपक्ष दलों के सांसद संसद में किसी भी जनहित के मुद्दे पर सवाल कर सकते हैं। इससे न तो सरकार की छवि धूमिल होती है और न ही अर्थव्यवस्था अवरूद्ध होती है।

देश में बेरोजगारी आज 16 प्रतिशत के आसपास है। यह देश के लिये बिल्कुल भी सही नहीं है। रूपया कब का 80 पार कर गया। यह हमारी आने वाली पीढ़ियों के रोजगार और आय पर बड़ा संकट खड़ा सकता है। आज जहां अर्थव्यवस्था की तुलना वैश्विक रूप से विकसीत देशों से होनी चाहिये, वहीं आज के दौर में नेपाल, भूटान, पाकिस्तान से हमारी तुलना होना बेहद निराशाजनक है। लच्छेदार भाषण सिर्फ आम जनमानस के मोटिवेशन के लिये सही रहता है य़ा फिर जब आप चुनाव जीतने के लिये प्रचार कर रहे हों। लेकिन अब देश की जनता यह जानना चाहती है कि स्मार्ट सिटी कहां है, कहां है सांसदों के द्वारा गोद लिये गाँव, क्या वह बडे हो गये या अब तक अविकसित होकर गोद में ही हैं। देश यह भी जानना चाहता है, कि 2 करोड़ रोजगार तो आप नहीं दे पाये कम से कम इतने रोजगार उपलब्ध करवायें की बेरोजगारी कुछ तो कम हो सके, जिससे युवाओं की निराशा पर कुछ तो लगाम लग सके। ऐसा न हो कि युवा रोजगार के लिये सड़कों पर आये और लाठी खायें। कहीं विकसित भारत का सपना सिर्फ सपना ही न रह जाए।
देश के विकास की बात जहां शीतकालीन सत्र में होनी चाहिये थी, बजट पर चर्चा होनी चाहिये थी, चर्चा होनी चाहिये कि देश के विकास को अवरूद्ध करने वाले मुद्दों पर सभी एकजुट हों। लेकिन ऐसा कतई नहीं हुआ। हुआ तो सिर्फ इतना कि एक अकेला सब पर भारी है। खैर कितना भारी है यह आने वाला वक्त ही बतायेगा। लेकिन मामला यह अधूरा ही छूट जायेगा अगर चर्चा अडानी के बिना रह जाय। खैर इसकी शुरूआत हिंडनवर्ग की रिपोर्ट के साथ हुई। देखते ही देखते अडानी के शेयरों में भारी गिरावट देखने को मिली। 108 लाख करोड़ की कंपनी कब आधे पर आकर अटक गयी, पता ही नहीं चला । तीसरे नंबर से खिसक कर अब अडानी बीसवें नंबर से भी नीचे चले गये। हम उसी हिडेनवर्ग की रिपोर्ट की बात कर रहे हैं जिसे खोजने वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार हिंडन नदी के पास खड़े होकर एंडरसन एंडरसन पुकार रहे थे। इसकी मुख्य वजह यह भी है कि हिंडनवर्ग की रिपोर्ट में रवीश कुमार के भी हाथ होने की भी बात कुछ लोग कर रहे थे। खैर कितना हाथ है या नहीं है यह तो वक्त ही बतायेगा। लेकिन अभी तक हिंडनवर्ग के खिलाफ कोई कार्यवाई न होने से संभवतया अनुमान लगाया जा रहा है कि कहीं न कहीं कुछ तो गड़बड़ घोटाला हुआ है। अब अडानी समूह नें हिंडनवर्ग के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करने का निर्णय लिया है।

लेकिन जब देश का सदन जानना चाह रहा था कि अडानी समूह से मोदी के क्या संबध है ? तो दूसरी तरफ कहां-कहां प्रोजेक्ट अडानी समूह को नियमों को ताक पर रखकर दिये गये। खैर प्रधानमंत्री ने अडानी समूह से संबधित किसी सवाल का जबाब देना उचित नहीं समझा न ही दिया। खैर अगर इस तरह से जनता की गाढ़ी कमाई को चपत लगायी गयी तो यह न ही देश के हित में है और न ही उद्योग जगत के। इससे जहां सरकार की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े होंगे तो दूसरी तरफ मंहगाई औऱ बेरोजगारी चरम पर होगी। इसलिये जरूरी है कि सरकार किसी भी मामले से सख्ती से निपटे। साथ ही यह भी सुनिश्चित करे की कोई व्यापारी देश छोड़कर भाग न सके। देश को जहां विकास की रफ्तार पकड़नी चाहिये देश आज भी मंहगाई बेरोजगारी के दंश से उबर नहीं पा रहा है। आज भी युवा सड़कों पर है। देश के गरीब आधा पेट खाकर जीवन जीने को मजबूर हैं। दूसरी तरफ बड़े व्यापारी को औने पौने दाम पर लोन दिया जाता है और ये व्यापारी देश का पैसा लूटकर चलते बनते हैं। खैर यह सरकार का विषय है कि अपने नीतिगत फैसलों उचित प्रकार से करे और ऐसे फैसले करें जो देशहित में हो वह जनता के हित में हो।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -spot_img

Most Popular

10cric

https://yonorummy54.in/

https://rummyglee54.in/

https://rummyperfect54.in/

https://rummynabob54.in/

https://rummymodern54.in/

https://rummywealth54.in/

MCW Casino

JW7

Glory Casino APK

Khela88 Login