किसान: बोते तो हैं अनाज पर भूख नहीं जाती

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Kisan Andolan

रेल की पटरियों को बनाया आशीयाना

नई दिल्ली ।‌

यह संयोग ही है कि सरकार आज एकात्म मानवतावाद के प्रणेता दीन दयाल उपाध्याय की जयंती मना रही है जिनका शव मुगलसराय रेलवे स्टेशन ( पीलर नम्बर 673/1276 आज) के पास मिला यह भी कि देश के किसान रेलवे पटरियों को ही अपना रैन बसेरा बना लिया है और यह भी कि देश के पूर्व उप प्रधानमंत्री स्व० चौधरी देवी लाल की जयंती के दिन ही किसानों ने भारत बंद का एलान किया। असर देश भर में देखने को मिला। हालांकि भारत बंद का असर मिला- जुला रहा। किसान अमृतसर दिल्ली हाईवे रोककर बैठे हुए हैं।रेलवे पटरियों पर दरी बिछाकर आर-पार की लड़ाई में मूड़ में हैं। पुलिस ने किसानों पर वॉटर कैनन से हमला किया।कर्नाटक स्टेट फार्मर्स एसोसिएशन के सदस्य बोमनहल्ली के नेतृत्व मे किसान कर्नाटक-तमिलनाड़ु हाईवे पर उतर आये। दिल्ली-उत्तर प्रदेश बॉर्डर प्वाइंट पर चिल्ला क्षेत्र में प्रदर्शनरत किसानों पर पुलिस द्वारा बल का प्रयोग की सूचना मिल रही है हालांकि इस बंद का असर शहरों में कम ही दिखा। दिल्ली-एनसीआर में रोज की तरह चहल-पहल रही।

एकात्म मानववाद के प्रणेता और रेल की पटरी

बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश व मध्य उत्तर प्रदेश में इसका खास असर नहीं देखा गया। अलबत्ता इन इलाकों में किसानों की मांगों को सभी विपक्षी पार्टियों ने समर्थन किया और जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन भी किया। बिहार सहित पूर्वी उत्तर प्रदेश के किसान जातियों में बटे हुए हैं। इसलिए कोई भी किसान अपनी बात किसी एक मंच से नहीं कर पाता। उत्तर प्रदेश में किसानों के नेता महेन्द्र सिंह टिकैट के बाद एकजुट नहीं हो पायें‌। किसान अपनी खेती किसी भी हाल में कार्पोरेट के हाथ गिरवी रखने को तैयार नहीं है। किसानों का आरोप है कि सरकार कह तो रही है कि इससे किसानों के दिन बहुरेगें लेकिन इस कानून से हम अनाज तो बोएगें पर भूख मिटाने भर भी पैदा नहीं होगा। किसान आंदोलन को देखते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि कुछ लोग किसानों के कंधे पर बन्दूक रख चला रहे हैं हालांकि उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि यह अवसर उन बन्दूक रखने वालों को किसने दिया।

गौरतलब हो कि इस रविवार को सरकार द्वारा किसान बिल पास किया गया है तभी से देश भर के किसान आक्रोशित हैं। राज्य सभा में यह बिल धोखे से पास कराने का आरोप लगाते हुए आठ रास सांसद गांधी जी के मूर्ति के नीचे धरने पर बैठ गये ।

देश के अन्नदाता और रेल की पटरी

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